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रातीजगा चिरजायें
हिंदी
रातीजगा चिरजा – इन्द्रकँवर अन्नदाता री मरोड़ प्यारी लागे
नायिका शिख नख वर्णन (राम रंजाट)

यह छंद महाकवि सूर्यमल्ल रचित खंडकाव्य राम रंजाट से लिया गया है। उल्लेखनीय है कि महाकवि ने इस ग्रन्थ को मात्र १० वर्ष की आयु में ही लिख डाला था।
।।छंद – त्रिभंगी।।
सौलह सिनगारं, सजि अनुसारं, अधिक अपारं, उद्धारं।
कौरे चख कज्जळ, अति जिहिं लज्जळ, दुति विजज्जळ, सुभकारं।।[…]
रातीजगा चिरजा – राखीजे प्रतिपाळ, काबाएं वाळी
रातीजगा चिरजा – चाळराय शुभ री घड़ी म्हारे आई
रातीजगा चिरजा – म्हारा देव दुगाय जग जननी हे माय
चिरजा: बिड़द रख बीसहथी वरदाई

बिड़द रख बीसहथी वरदाई,सेवग दुख हर लीजे सुरराई।
खल को खंडन कर खलखंडनि, मेछां उधम मचाई।
संतन के मन गहरो सांसो, पुनि-पुनि-पुनि पछताई।।1।।
खल संग निर्मल होय सफल कब, अंत मिलत अफलाई।
दुष्ट दलन कर हे दाढाळी, एक आसरो आई।।2।।[…]
चिरजा चंदू माजी री

साद करंतां कापणी संकट, आप उदाई आय।
पूर पखो नित पाल़णी पेखो, मात चंदू महमाय।।
हे मा चंदू आप पुकार सुनकर अपने भक्तों के संकट निवारण करने वाली हैं !! इसलिए तो आप अपने निजजनों का पूर्णतया पक्ष निभाती हैं।
गढवाड़ा जिण गंजण चाह्या, तरवारां बल़ ताय।
सांभ बातां जद कोप जिणां सिर, धमकै कीधो धाय।।
………………..मात च़ंदू महमाय।।1
जिसने भी गढवाड़ों (चारणों के गांव) को डराना अथवा तलवारों के बल पर विध्वंस करना चाहा और जब आपने उन आतताइयों की ऐसी मंशा देखी तो उन पर कुपित होकर गढवाड़ों की रक्षार्थ उन पातकों को रोकने हेतु उनके समक्ष अडग खड़ी रही। […]