कविता की संजीवनी और राणा सांगा

वीर महाराणा सांगा (संग्राम सिंह) के झंडे के नीचे सारे राजस्थान के वीर बाबर से युद्ध करने के लिए जुटे थे। युद्ध के मैदान में पूरी वीरता से देर तक लड़ते लड़ते घायल राणाजी को अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मूर्छा आ गयी। राणा को अचेत अवस्था में देखकर उनका महावत सावधानी से राणाजी के हाथी को युद्ध क्षेत्र से भगा ले गया। होश आते ही राणाजी को अपनी हार का पता चला तो वे क्रोध में पागल से हो गए। हारने की व युद्ध क्षेत्र छोड़ने की लज्जा ने उनको पूरी तरह से तोड़ दिया। युद्ध में उनका एक हाथ […]

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चारणों की विभिन्न शाखाओं का संक्षिप्त परिचय

आढ़ा चारणों की बीस मूल शाखाओं  (बीसोतर) में “वाचा” शाखा में सांदु, महिया तथा “आढ़ा” सहित सत्रह प्रशाखाएं हैं। इसके अन्तर्गत ही आढ़ा गौत्र मानी जाती है। आढ़ा नामक गांव के नाम पर उक्त शाखा का नाम पड़ा जो कालान्तर में आढ़ा गौत्र में परिवर्तित हो गया। चारण समाज में महान ख्यातनाम कवियों में दुरसाजी आढ़ा का नाम मुख्य रूप से लिया जाता है। इनका जन्म 1535 ईस्वी में आढ़ा (असाड़ा) ग्राम जसोल मलानी (बाड़मेर) में हुआ। इनके पिता मेहाजी आढ़ा तथा दादा अमराजी आढ़ा थे। ये अपनी वीरता, योग्यता एवं कवित्व शक्ति के रूप में राजस्थान में विख्यात हुए। […]

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जूझार मेहरदान संढायच माड़वा

माड़वो पोकरण रै दिखणादै पासै आयोड़ो एक ऐतिहासिक गांव है। जिणरो इतिहास अंजसजोग अर गर्विलो रैयो है। पोकरण राव हमीर जगमालोत ओ गांव अखैजी सोढावत नै दियो। जिणरी साख रै एक जूनै कवित्त री ऐ ओल़्यां चावी है।

हमीर राण सुप्रसन्न हुय, सूरज समो सुझाड़वो
अखै नै गाम उण दिन अप्यो, मोटो सांसण माड़वो

इणी अखैजी रै भाई भलैजी रै घरै महाशक्ति देवल रो जनम हुयो।

भलिया थारो भाग, देवल जेड़ी दीकरी
समंदां लग सोभाग, परवरियो सारी प्रिथी

ओ ई बो माड़वो है जठै भगवती चंदू रो जनम हुयो जिण सांमतशाही रै खिलाफ जंमर कियो। इणी माड़वै मे अखै री गौरवमय वंश परंमपरा मे माणजी रै धड़ै मे धरमदान रै घरै मेहरदान संढायच रो जनम हुयो।[…]

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फोग रो छंद

छंद – नाराच
फबै थल़ी ज फोग तूं फल़ै ज फूठरो फबै
महक्क धोरियां मुदै सजै ज मोहणो सबै
थल़ी ज थाट तूंज सूं रल़ीज पूरणो रसा
अपै ज रूप ओयणां जुड़ैज होड ना जसा १

मुदै ज मात भोम सूं सप्रीत रीत तो सिरै
दखांज भोम दूसरी धिनो ज ध्यान ना धरै
बहैज एक वाट ही मरू रूपाल़ तूं मँडै
मनां तनां थल़ू मही ज तूं छटांक ना छँडै २ […]

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जीवट ही जीवण है

जीवट ही जीवण रो नाम अरे, जग देख तमासो हारी ना
जूझ्या ही कीमत जीवण री, लड़तोड़ो हीमत हारी ना

चींचड़ बण चूंटै काया नै, माया रा लोभी मतवाल़ा
पग पग रे छेड़ै परड़ां है, घट घट मे काल़ा फणवाल़ा
पावै जिण प्यालां दूध बता, विसड़ै री जागा की मिलसी
हेवा कर चुल़सी पाछो तूं, झाटां अर डंकड़ा घण मिलसी […]

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हिंगोल़राय री स्तुति

पिछमाण धराल़िय तैं प्रतपाल़िय थांन तिहाल़िय जेथ थपै
सत्रु घट गाल़िय संत सँभाल़िय देव दयाल़िय रूप दिपै
पुनि पात उजाल़िय तैं पखपाल़िय लंब हथाल़िय कूण लखै
कर काज सदा हिंगल़ाज कृपाल़िय राज तुंही मम लाज रखै १ […]

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कवित्त करणीजी रा

वय पाय थाकी हाकी न केहर सकै शीघ्र
कान न ते सुने नहीं किसको पुकारूं मैं
चखन तें सुझै नहीं संतन उदासी मुख
कौन ढिग जाय अब अश्रुन ढिगारुं मैं
तेरे बिन मेरो कौन अब तो बताओ मात
दृष्टि मे न आत दूजो हिय धीर धारूं मै
कहै गीध चरणन मे छांह मिले थिर
शरण जननी की फिर मन को न मारूं मै १ […]

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कांई ठा कांई होवेला

कांई ठा कांई होवेला

म्है थारै मूंडै री मीठी मुल़क
आंख्यां मे झरती अपणास
विश्वास रै बोलां पर
चमगूंगो सो, चितबगनो सो
उतरतो रैयो अजाणी
ढल़तोड़ी ढाल़ां पर
चढतो रैयौ ऊंचोड़ी पाल़ां पर
घालतो रैयो हींड लंफणां मे […]

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गौ भक्त मा पेमां

बीकानेर रै आथूणै कड़खै रो छे’लो गांव है दासोड़ी। इण गांव रै आथूणै अर उतरादै पासै जोधपुर रो अंतिम गांव है मिठड़ियो। मिठड़ियै री लागती कांकड़ माथै आयोड़ा दासोड़ी रा खेत करनेत बाजै। लगै टगै वि.सं. १८०० रे आसै पासै दासोड़ी मे पेमां माजी होया। दासोड़ी उणां रो ससुराल हो। पीहर किण जागा हो ओ तो ठाह नी है पण बै जात रा बीठवण (बीठू) हा। आ बात म्हारा जीसा (दादोसा) गणेशदानजी रतनू कैया करता हा। पेमा माजी रे गायां घणी होती सो बै आपरै खेत करनेत ढाणी विराजता। उण दिनां मिठड़ियै रो ठाकुर कल्लो पातावत हो। ठाकुर री कुदीठ माजी […]

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तूं किणी गढ नै टिल्लो दीजै!!

माड़वो(पोकरण)आपरी सांस्कृतिक विरासत रै पाण चावो गांम रैयो है। इणी गांम में महाशक्ति देवल रो जनम होयो। इणी धरा नै बूट बलाल बैचरा जैड़ी महाशक्तियां रो नानाणो होवण रो गौरव प्राप्त है। इणी धरा री मा चंदू माड़वा गांव री रक्षार्थ अखेसर री पावन पाल़ माथै पोकरण ठाकुर सालमसिंह रे खिलाफ १८७९ वि° मे जमर कियो। चंदू मा सूं पैला इणां री मा अणंदूबाई, गुड्डी रै पोकरणां रै खिलाफ जमर कियो। जद इण गांम री ऐ गर्विली गाथावां सुणां तो लागै कै शायद इण माटी में ईज ऐड़ो आपाण भर्योड़ो हो कै अठै रो वासी आपरै माण नै मुचण नीं […]

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