स्वामी ब्रह्मानंद जी (लाडूदान जी आसिया)

सिरोही का राज दरबार खचाखच भरा हुआ था। महाराजा के कहने पर, युवा कवि लाडूदान आसिया ने अपनी स्वरचित कविताएं सुनाना शुरू कर दिया। बच्चे के शक्तिशाली और धाराप्रवाह काव्य वाचन ने दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया, काव्यपठन समापन होते ही करतल ध्वनि और वाहवाही से पूरा राज दरबार गूँज उठा। भीड़ अभी भी विस्मय से युवा कवि के बारे में चर्चा कर रही थी, सिरोही के महाराजा के मन में विचार आया “कितना अच्छा हो यदि हमारे राज्य के इस अमूल्य रत्न की प्रतिभा की महक हर जगह फैले। ” इस सदाशय से सिरोही के महाराजा ने भुज […]

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भवाष्टक – कवि जोगीदान कविया (सेवापुरा)

भवा अन्न तू धन्न तू विश्व व्यापै,भवा कर्म तू धर्म तू आप आपै।
भवा नेम तू व्रत तू सृष्टि साधै, भवा काम सारै लियाँ नाम आपे।।१।।

भवा भक्त रै रूप तू शक्ति सेवै,भवा शक्ति रै रूप तू भक्ति देवै।
भवा भक्ति रे रूप तू चित्त सोधै, भवा चित्त रै रूप तू धी प्रबोधै।।२।। […]

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🌹करणी स्तुति🌹- बारहठ खेतसी (मथाणिया) कृत

🌸दोहा🌸
बिमळ देह सिंहवाहणी, ओपे कळा अखंड|
बडां बडी चहुँवै वळां, महि पताळ नभ मंड||

💐गीत जात प्रहास शाणोर💐
बिमळ देह धारियां सगत जँगळधर बिराजै, थांन देशांण श्री हाथ थाया|
उठे कवि भेजियो राव करबा अरज, जोधपुर पधारो जोगमाया|| […]

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કાળજા કેરો કટકો

કાળજાનો કટકો
કાળજા કેરો કટકો મારો, ગાંઠથી છૂટી ગ્યો,
મમતા રુએ જેમ. વેળુમાં, વીરડો ફૂટી ગ્યો…..
કાળજા કેરો કટકો મારો….
છબતો નઇ જેનો ધરતી ઉપર,પગ આજ થીજી ગ્યો; […]

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डांग अर डोको

कांई कैयो आप
आपरै कन्नै डांग है !
बा ई बंध्यां वाल़ी
नींगल़्योड़ी!
पण किणरै सारु
बता सको हो आप ?
म्हनै तो लागै है
इण डोकै रै आगै
आपरी डांग बापड़ी है
निजोरी है।
आप ई जाणो हो आ बात ! […]

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पतियारो

कुड़कै में फसियोड़ो
धसियोड़ो धरती में
हांफल़तो
झांफल़ा खावतो सो
आकल़ -बाकल़ सो
तड़फड़तो सो लागै पतियारो।
अणसैंधौ
अणखाणो सो
अणसुल़झ्यो […]

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🌹सूर्यनारायण स्तुति🌹-कविराज नवलदानजी आसिया (खांण)

🌹छंद रेणंकी🌹
नित नित नवलेश शेश कर समरन, जुग अशेश कर क्लेश जरे|
सुमिरत अमरेश शेश पुनि शारद, ध्यांन धनेश गणेश धरे|
विलसत दश देश बेस बल व्यापक, प्रगट विग्यान अग्यान परे|
दिनकर कर निकर उदयगिरि ऊपर, होय उदयकर तिमिर हरे||१ […]

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मायड भाषा ने मिळै

मायड भासा ने मिळे, राज मानता राज।
औ अरजी है आप नें, मेहाई महराज।।७२१
डिंगळ डिगती डोकरी, थां बैठां किण काज।
मायड दीजो मानता, मेहाई महराज।।७२२
डिंगळ री डणकार रा, बोल्या सब कविराज।
मायड दीजो मानता, मेहाई महराज।।७२३
डिंगळ डिगती डोकरी, थारै हाथां लाज।
मायड दीजो मानता, मेहाई महराज।।७२४[…]

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दसमहाविधामयी मेहाई वंदना

धारी सिर जिण धाबळी, कंकण वळे करां ज।
झणण पद शुभ झांझरां, मेहाई महराज।।६८५
माळा फेरत मावडी, मढ बैठ’र रिधुराज।
रात दिवस हिरदै बसो, मेहाई महराज।।६८६
सिंदुर चरचित भाळ शुभ, हेम हार गळ राज।
मालक मां देशांणमढ, मेहाई महराज।।६८७
काळी प्हैरी कांचळी, बिछिया पग रिधु राज।
कर त्रिशूळ किनियांण रे, मेहाई महराज।।६८८[…]

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