बिरहण अर बाँसुरी
बिरहण बोदी बाँसुरी,साजण जिण री फूंक।
घर आयां पिव गावसी,कोयल रे ज्यूं कूक।।१
बिनां फूंक री बाँसुरी,बिरहण अर बिन नाह।
ऐ दोन्यूं है एक सी,जीवण नीरस जाह।।२
बजै बिरह री बाँसुरी, अहनिस बिरहण अंग।
जिण रा सुर सुण रीझता,कविता रसिक कुरंग।।३ […]