क्रोड नमन किरमाल़

खल़ पर खीजै खार कर, खय करवा खुंखार।
भय हरणी रण रंजणी, तनें नमन तलवार।।१
अशरणशरणी अंबिका, हुई सदा रह हाथ।
रे!रणचंडी रीझजै, मनसुध नामूं माथ।।२
धावड बण बिच ध्रागडै, सूरां रखै संभाल़।
रणचंडी! खंडी खल़ां, , करूं नमन किरमाल़।।३[…]

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કાંકરી – કવિ શ્રી દુલા ભાયા કાગ

કુળ રાવળ તણો નાશ કીધા પછી, એક દી રામને વહેમ આવ્યો;
“મુજ તણા નામથી પથ્થર તરતા થયા, આ બધો ઢોંગ કોણે ચલાવ્યો?”
એ જ વિચારમાં આપ ઊભા થયા, કોઇને નવ પછી સાથ લાવ્યા;
સર્વથી છૂપતા છૂપતા રામજી, એકલા ઉદધિને તીર આવ્યા. 1
ચતુર હનુમાનજી બધું ય સમજી ગયા, […]

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જીવનમાં ફેરફાર – કવિ શ્રી દુલા ભાયા કાગ

એના જીવનમાં ફેરફાર જી.
જીવનમાં ફેરફાર, બેઉ છે પાણીમાં વસનાર-એના.ટેક
મીન દેડક માજણ્યાં બેય, જળ થકી જીવનાર જી (2),
જળમાં જન્મયાં, જીવ્યાં જળમાં(2), જળ સંગે વેવાર-એના.1
નીર થકી એ નોખુ પડતાં માછલું મરનારજી (2),
જળ સુકાતાં દેડકા જોઈ લ્યો (2) કાદવમાં રમનાર-એના.2 […]

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शिरोमणि दानी सांगो गौड -अजय दान जी लखदान जी रोहडिया (मलावा)

वीरता में ज्यूं राजस्थान, रियौ है आगे प्रान्त अजोड।
त्यूहिं परसिध है जग सौराष्ट्र, शूरवीरों री धर सिरमोड।।१
जिको गांधी भी जलम्यो जेथ, कियो भारत नें जिण आजाद।
कहो किण रे मनडे रे मांय, नहीं है इण धरती री याद।।२
जठे कइ वेगा वीर जवान, मरण लग जिको न तजता माण।
पण्ड पर सह लेता सब पीड, पिरण पर दे देता पण प्राण।।३[…]

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डग-डग माथै खौफ डगर में

डग-डग माथै खौफ डगर में,
नागां रो उतपात नगर में।
जिणनै भूल चैन सूं जील्यूं,
(क्यूँ) बात बा ही पूछै बर-बर में।
स्याळ्यां परख्यो जद सूरापण,
नीलगाय रो नाम निडर में।
श्रद्धा, स्नेह न भाव चावना,
कोरी फुलमाळावां कर में।

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🌺वाह! जवानां🌺 – कारगिल माथै कवि वीरेन्द्र लखावत कृत एक गजल

कढ करगिल परवांन जवानां वाह जवानां।
भारत री थै शान जवानां वाह जवानां ।
जग ने दियौ जताय भीम भारत री फौजां,
जस चढ्यौ असमान जवानां वाह जवानां।
भुल्यौ भगनी भ्रात बंध्यो हित देश बचावण,
धी रौ कियौ न ध्यान जवानां वाह जवानां।[…]

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मानवीय संवेदनाओं के संवाहक कवि ईशरदास बारठ

जब हम भारतीय साहित्य के मनीषी कवियों को पढते हैं तो हम पाते हैं कि हमारे भारतीय वाड्मय में कवियों को जो सम्मान मिला वह अपने आप में अद्भुत व वरेण्य है। हमारे कवि, आदि कवि, कवि भूषण, कवि श्रेष्ठ, कविराज आदि अलंकरणों से आभूषित हैं लेकिन जब हम इसी वाड्मय के अंर्तगत राजस्थानी साहित्य को पढते हैं तो पाते हैं कि हमारे मध्यकालीन कवि ईशरदासजी बारठ को जो आदर हमारे राजस्थानी साहित्य प्रेमियों ने दिया वो स्तुत्य है। […]

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शारदा स्तुति -प्रबीन सागर से

🍀भुजंग प्रयातम् छंद🍀
ओंकार प्रेमं प्रभा नाद बिंदा।
जयो मातुरा चातुरा भेद छंदा।
गिरा ग्यान गोतीत गूढं गनानी।
जयो पार विस्तारता वेद बानी।।१[…]

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माता

प्रेम को नेम निभाय अलौकिक,
नेम सों प्रेम सिखावती माता।
त्याग हुते अनुराग को सींचत,
त्याग पे भाग सरावती माता।
जीवन जंग को ढंग से जीत के,
नीत की रीत निभावती माता।
भाग बड़े गजराज सपूत के,
कंठ लगा दुलरावती माता।।1।।

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हेत हु की न करो तुम हांसी – प्रबीन सागर से सवैया

सागर रावरे कागद को इत
ज्योंज्यो लगे अरहंट फरेबो।
त्यौं त्यों हमे अखियान अहोनिश
बार की धार धरी ज्यौं ढरैबो।
ज्यों ज्यों प्रवाह बहै अँसुवानको
त्यों त्यों व्रिहा हिय हौज भरैबो।
ज्यों ज्यों सुरंज सनेह चढै मधि
त्यों त्यों जिया निंबुवा उछरेगो।।१[…]

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