चारणों के गाँव – नोख / बासणी (कवियान)

नोख (कवियान) चारणो की जागीरो में से एक ऐसी जागीर है जो एक बहुत बड़े राजपूती सँघर्ष के फलस्वरुप अस्तित्व मे आयी। नोख एक राजपूत और एक चारण कवि की घनिष्ठ मित्रता का परिणाम है। आज राजस्थान राज्य के पाली जिले मे राजपूतों की उदावत खाँप का प्रभुत्व है। ये महान वीर यशस्वी राव उदाजी के वँशज है। राव उदाजी जोधपुर के सँस्थापक महावीर जोधाजी के पौत्र थे। राव उदाजी और खेतसी जी कविया की बहुत अच्छी मित्रता थी, ये मित्रता चँदरवरदाई और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तरह थी। राव उदाजी और खेतसीजी दोनो उस वक्त जवान थे। वे हर वक्त […]

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नागदमण – सांयाजी झूला

सांयाजी झूला महान दानी, परोपकारी भक्त कवि थे। वे कुवाव गांव गुजरात के निवासी थे। इनका लिखा हुआ “नागदमण” भक्ति रस का प्रमुख ग्रन्थ है|

भक्त कवि श्री सांयाजी झूला कृत “नागदमण”
।।दोहा-मंगलाचरण।।
विधिजा शारदा विनवुं, सादर करो पसाय।
पवाडो पनंगा सिरे, जदुपति किनो जाय।।…१
प्रभु घणाचा पाडिया, दैत्य वडा चा दंत।
के पालणे पोढिया, के पयपान करंत।।…२
किणे न दिठो कानवो, सुण्यो न लीला संघ।
आप बंधाणो उखळे, बीजा छोडण बंध।।…३
अवनी भार उतारवा, जायो एण जगत।
नाथ विहाणे नितनवे, नवे विहाणे नित।।…४
।।छंद – भुजंगप्रयात।।
विहाणे नवे नाथ जागो वहेला।
हुवा दोहिवा धेन गोवाळ हेला।।
जगाडे जशोदा जदुनाथ जागो।
मही माट घुमे नवे निध्धि मांगो।।…१[…]

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जद भोर भयंकर भूंडी है

जद भोर भयंकर भूंडी है
अर सांझ रो नाम लियां ही डरां।
इसड़ै आं सूरज चंदां रो
किम छंदां में गुणगान करां।।
कळियां पर काळी निजरां है
सुमनां री सौरभ सहमी है।
उर मांय उदासी उपवन रै
जालिम भंवरा बेरहमी है।। […]

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चौमासो

उमड़ी जद कांठळ उतरादी,
भुरजां में बीजळ पळकी है।
अड़बड़ता वरस्या बादळिया,
खळहळती नदियां खळकी है।।
पालर सूं धोरा हद धाप्या,
तालर में डेडरिया बोलै।
मुधरा बोलै देख मोरिया,
कोयलियां कंठ मीठा खोलै।।

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रंगमाल़ सूं कीं दूहा

विघन विडारण वड वदन, अपण सदन उछरंग।
आद गणेशा आपनैं, रेणव आखै रंग।।1
कारज सिग करणो कठण, हरणो विघन हमेस।
इण कारण ईसर तणा, गहरा रंग खणेस।।
आद सुजस आखै इटल़, साच मनां कव सेव।
वीण धरण हंस वाहणी, सरसत रंग सदैव।।

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परतख प्रेरणा-पुंज : आपणी लोकदेवियां 

किणी देस-समाज री पूरी अर परतख पिछाण उणरी संस्कृति सूं इज हुवै। संस्कृति रो मूळ संस्कार हुवै। संस्कारां रै सिगै ई किणी मिनख, समाज अर देस री रीत-नीत, माण-मरजादा, लेण-देण, आचार-विचार आद रो ठाह लागै। भारतीय संस्कृति मांय मिनख रै जलम सूं लेय छेहलै पड़ाव ताणी जीवण री जुगत सिखावण सारू संस्कारां, मान्यतावां, रीत-रिवाजां अर कमनीय कल्पनावां री भरमार है। इण संस्कृति मांय कांई है, इणरै साथ कांई व्हेणो चाईजै, इणरी बात पुरजोर ढंग सूं करीजी है। मिनख नैं पग-पग माथै उत्तम जीवण जीणै री प्रेरणा देवण सारू आपणी संस्कृति मांय देवी-देवता, संत-ओलियां, पीर-भोमियां, सूरां-जुझारां रै उल्लेखणजोग अर अनुकरणजोग जीवण […]

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चारणों के गाँव – हरणा, मोलकी तथा हाड़ोती के अन्य मीसण गाँवों का इतिहास

बूंदी राज्य में बारहट पद सामोर शाखा के चारणों के पास था परन्तु भावी के कर्मफल से उनकी कोई संतान नहीं हुई तथा कालांतर में उनका वंश समाप्त हो गया।
इस समय मेवाड़ में दरबारी कवि ईसरदास मीसण थे जिनके पूर्वज सुकवि भानु मीसण से उनके सत्यवक्ता बने रहकर मिथ्या भाषण करने के अनुरोध को नहीं मानने की जिद से कुपित होकर चित्तौड़ के तत्कालीन राणा विक्रमादित्य ने सांसण की जागीर के मुख्य गाँव ऊंटोलाव समेत साथ के सभी उत्तम गावों की जागीर छीन कर केवल रीठ गाँव उनके लिए छोड़ दिया था। […]

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माण मिटाणा मीत

बाजै देखो वायरो, लाज उडावण लीक।
रलकीज्या ऐ रेत में, ठाठ वडां रा ठीक।।1
मरट वडां रो मेटियो, समै किया इकसार।
भरम अबै तो भायलां, लेस न रैयो लिगार।।2
कठै गयो वो कायदो, कठै गई वा काण।
फट्ट मिल़ै कीं फायदो, वीरां! पड़गी बाण।।3 […]

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अलूजी लाळस रा बारहमासा

॥छंद रोमकंद॥
अषाढ घघुंबिय लुंबिय अंबर बादळ बेवड चोवळियं।
महलार महेलीय लाड गहेलिय नीर छळै निझरै नळियं।
अंद्र गाज अगाज करे धर उपर अंबु नयां सर उभरियां।
अजमाल नथु तण कुंवर आलण सोहि तणी रत सांभरिया ।
म्हानै सोहि तणी रत सांभरिया॥ 1 ॥[…]

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रुद्राष्टकम – हिम्मत सिंह कविया नोख

परणाम करूँ विभुव्यापक को ब्रह्म वेद सरूप उद्धारक को ।
निरवाण सरूप महा शिव को दिस ईशन के प्रभुधारक को ।।

थिरहो निज रूप गुणातित भेद नही मनसा कुछ भीतर में ।
नभ चेतन रूप सदा शिव शंकर ऐक अनादि चराचर में ।।
पट धारण अंबर आप करो शशि सूरज तेज उजाळक को ।
परणाम करूँ विभुव्यापक को ब्रह्म वेद सरूप उद्धारक को।।1[…]

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