वीर देवपाल़ देवल रो गीत सोहणो

5 मई 1948 नै जनम्या देवपालसिंह देवल, बासणी दधवाड़ियान (जिला पाली, राज. ) रा भवानीदानजी देवल अर श्रीमती प्रकाशकंवर ऊजल़ (ऊजल़ां जिला जैसलमेर, राज. ) रा मोभी हा। देवकरणजी बारठ लिखै– आद कहावत चलती आवै, साची जिणनै करी सतेज। मामा जिणरा हुवै मारका, भूंडा क्यू नीपजै भाणेज? नाथूराम सिंहढायच नानो, दादो जिणरो माधोदास। दुषण रहित घराणा दोनूं, कुळ भूषण मामो कैलाश अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हुवण पछै आप भारतीय सेना में एनसीसी रै माध्यम सूं एक कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल हुया। उणां छोटी वय में ई हिमालय पर्वतारोहण संस्थान और महू (मध्य प्रदेश) में कमांडो कोर्स नै सफलतापूर्वक […]

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आ रे म्हारा समपमपाट!

आ रे म्हारा समपमपाट!
हूं तनै चाटूं तूं म्हनै चाट!!
म्हारी चुगली तूं मत खाजै!
हुं नीं करसूं थारी काट!!
मिल़ियां मिल़सी माल मलिदा!
लड़ियां घर में लूखी घाट!!
म्हारो तूं नै, थारो हूं तो!
दुसमण री लागै नीं झाट!![…]

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स्तुति श्री सायर माँ की – कवि जयसिंह सिंढ़ायच

।।छंद–भुजंगम प्रयात।।
नमौ तूँ नमौ मंढ़ माला धिराणी।
रिधू सायरा माँ नमौ किन्नियाणी।।
तुं ही क्रनला रूप साक्षात आजै।
तुँ जागती जौत मालै बिराजे।।१।।
नमौ आद अन्नाद अम्बे भवानी।
नमौ विश्व वन्द्ये, नमौ रुद्रराणी।।
अजौनीश अम्बे नमौ विश्व रूपं।
निराकार आकार साकार श्रूपं।।२।।[…]

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देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो

।।गीत-प्रहास साणोर।।
कड़ाका आभ दे बीजल़ी जबर कड़कड़ी,
धड़धड़ी कंसरी धरण धूजी।
हड़बड़ी दूठ रै वापरी हीयै में
पुनी जद गड़गड़ी खबर पूजी।।1
देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो,
असुर तो मोत रो रूप आयो।
ईधर न ऊबरै उधर नह ऊबरै
जबर वसुदेव ओ सुतन जायो।।2[…]

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भाई रे मिनखां भाई!

भाई रे मिनखां भाई!
थांरी बुद्धि रो थाग
नीं लाधै
बापड़ै बूढै विधाता नै!
बो फरोल़ो है
आपरी झीर-झीर जूनी बही रा पाना
जिणमें कठै ई
कदास लाध जावै कोई ओल़ी
कै
बी कांई लिखियो हो?[…]

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आवड मां रो रेणकी छंद – कवि केसरजी खिडीया

॥छंद: रेणकी॥
गहकत तर बिम्मर दादर सुर सहकत,
सगत नजर भर अठ तसणी।
झळहऴ कुंडळ उज्जळ मिळ झूलर,
दूठ निजर दामण दमणी।
मिळिया दळ सबळ तैमडै माथै
शगत नवै लख हेक समै।
झबकत कर चूड झणणणणण झांझर
रामत डुँगरराय रमै॥ 1 ॥[…]

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माँ हिंगलाज का छंद – कवि अज्ञात

॥छंद: नाराच॥
भमंक अंज काळ भंज सिंघ संज सज्जियै।
झमंक झंझ ताळ खंज वीर डंज बज्जियै।
चौसठ्ठ मझ्झ रास रंझ स्याम मंझ सम्मियै।
गिरंद गाज बीण बाज हिंगळाज रम्मिये।
मां हिंगळाज रम्मिये जि हिंगळाज रम्मिये॥ 1॥[…]

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किरियावर

आप सही फरमावो हो
कै
आपरो किरियावर है
म्हारै बडेरां माथै!
म्हारै माथै!
मोटोड़ै मिनखां!
म्है कीकर विसराय सकूं
किरियावर आपरो?
आपनै तो शायद
पांतरो पड़ग्यो होवैला
पण
म्हनै चेतो है[…]

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खोडियार मां रो डिंगळ गीत – कवि दादूदान प्रतापदान मीसण

तट हिरण रे वासो थारो।
धरो गाजै जठै इक धारो
तरवर फूलां वास तिहारो।
महके वायु रो मंहकारो॥1॥
झरणां मह झणकार करै थुं।
नीर विच घेरो नाद करे थुं
वगडा मंह वनराई घटा थुं।
लाल गुलाबी वेलि लता थुं॥2॥[…]

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तरस मिटाणी तीज!

हड़हड़ती हँसती हरस, तरस मिटाणी तीज।
हरदिस में हरयाल़ियां, भोम गई सह भीज।
भल तूं लायो भादवा, तरस मिटाणी तीज।।
भैंसड़ियां सुरभ्यां भली, पसमां घिरी पतीज।
मह थल़ बैवै मछरती, तकड़ी भादव तीज।।
सदा सुहागण सरस मन, धन उर राखै धीज।[…]

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