त्रिकूटबंध गीत – वंश भास्कर

उम्मेद भूपति अंग में,
रसबीर संकुलि रंग मैं,
बरबीर बारह सै प्रबीरन चक्क लै चहुवान।
जयनैर सम्मुह जोर सों,
भिलि खग्ग झारीय भोर सों,
बर गुमर असिबर समर,
लगि झर कुनर छरतर हुनर
हत कर जबर खर सर गजर
जय धर अडर भर भिलि कचर-
घन कर अमरपुर मचि दवर
दरबर उदर भर मिलि मुखर
पलचर खचर चय अर खपर
खरभर पहर इक बजि टकर धरपर घोर इम घमसान।।1।।[…]

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चिरजा – डूंगरराय री

मगरिया मन मोहणा रे! रमै जिथ डूंगरराय।।टेर।।

अड़डड़ घाल चल़ु में उदधि, सुरड़ लियो सोखाय।
सड़डड़ चीर फैंक दिस सूरज, लंबहथ दियो लुकाय।।
रमै जिथ डूंगरराय।।

हणिया दैत बीसहथ हाथां, ढिगल किया रण ढाय।
भाखरियां बैठी मनभावण, गाथा जग गवराय।।
रमै जिथ डूंगरराय।।[…]

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चिरजा चंदू माजी री

साद करंतां कापणी संकट, आप उदाई आय।
पूर पखो नित पाल़णी पेखो, मात चंदू महमाय।।
हे मा चंदू आप पुकार सुनकर अपने भक्तों के संकट निवारण करने वाली हैं !! इसलिए तो आप अपने निजजनों का पूर्णतया पक्ष निभाती हैं।

गढवाड़ा जिण गंजण चाह्या, तरवारां बल़ ताय।
सांभ बातां जद कोप जिणां सिर, धमकै कीधो धाय।।
………………..मात च़ंदू महमाय।।1
जिसने भी गढवाड़ों (चारणों के गांव) को डराना अथवा तलवारों के बल पर विध्वंस करना चाहा और जब आपने उन आतताइयों की ऐसी मंशा देखी तो उन पर कुपित होकर गढवाड़ों की रक्षार्थ उन पातकों को रोकने हेतु उनके समक्ष अडग खड़ी रही। […]

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चिरजा करनीजी री

थल़वटराय भरोसो थारो, लेस आल़स न लावै।
आतुर भीर सुपातां आई, सिंघ हद बेग सजावै।।टेर

प्रिथमी जोर अनँत परवाड़ा, गढवाड़ा नित गावै।
देवै हरस दीहाड़ा देवी, जगत विघन मिट जावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………1[…]

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घी ढूळ्यो तो ई मूंगां मांहीं

आपणै राजस्थानी लोकजीवण मांय अेक कैबत चालै कै “घी ढूळ्यो तो ई मूंगां मांहीं”। इणरो प्रयोग साधारण रूप सूं उण ठौड़ करीजै जठै आपणै कोई नुकसाण हुवै पण उण नुकसाण सूं आपांनैं घणो धोखो कोनी हुवै क्यूंकै आपणै नुकसाण सूं कोई आपणै ई खास आदमी नैं फायदो हुवै जणां उण नुकसाण री मनोमन भरपाई करल्यां। जियां कोई लावणो बांटण आवै अर बडै भाई री ठौड़ छोटकियै भाई रै घरै लावणो देज्यावै। पछै जद ठा पड़ै तो कईजै कै कोई बात नीं घी ढूळ्यो तो मूंगां मांहीं।[…]

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महापुरूष देवाजी महियारिया

बुन्दी राज्य के देवा महियारिया एक कुशल राजनीतिज्ञ, वीर, धीर, व विद्यानुरागी पण्डित होने के कारण बुन्दी के राव शत्रुशाल हाडा के परम मित्र व सलाहकार सहयोगी थे। शत्रुसाल उनसे अत्यन्त प्रभावित थे तथा उनकी योग्यता को पुरस्कृत करना चाहते थे। परन्तु देवा महियारिया धन के नहीं सनातन धर्म के मित्र थे। फिर भी शत्रुसाल हाडा के विशेष निवेदन पर लाख पसाव लेना स्वीकार किया व तत्काल अपनी कीर्ति के रखवाले मोतीसर व रावळों को लाख पसाव बांट दिया।[…]

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पोकरण प्रशंसा पच्चीसी

सदन भलै रै संकरी, उपनी देवल आय।
पोकण आ पिछमांण में, वसू पेख वरदाय।।1
संडायच भलिये सदन, करणी ऊजळ कोम।
जनमी देवल जोगणी, भल पोढी री भोम।।2
वंसी मेघां मे बेगड़ा, धरी मात धणियाप।
कारू समरथ यूं किया, अवनी निज री आप।।3
महिपत गड़सी माड रो, पडियो आयर पाय।
मन तन पीड़ा मेटदी, महर करी महमाय।।4[…]

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ચોગરદમ ફૈલ્યુ અજવાળું – ગઝલ

ચોગરદમ ફૈલ્યુ અજવાળું

મન ના ઘર માં આજે માળુ!
ચોગરદમ ફૈલ્યુ અજવાળુ!
દીપ જલાવી કોણ ભગાડે,
અંધારું આ ભમ્મર કાળુ!
એ જ કાશ મળવા આવ્યા છે,
લાવ ઢોલિયો અંદર ઢાળુ!
સખી!સહજ શણગાર કરી લઉ,
આપ પટોળા ,મલમલ, સાળું![…]

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सूरमदे सुजस

।।गीत-प्रहास साणोर।।
धिनो गोर आलोत रै प्रगट भांडू धरा,
चाढणी सरासर सुजल़ चंडी।
बराबर दिपै तूं हेमजा बीसहथ,
मुरधरा रोहड़ां जात मंडी।।10

सईकै चबदमै इकावन साल सुध,
मही धिन आलरी पवित मांडू।
सूरमदे नाम जन जाणियो सांपरत,
भवा तन धारियो आय भांडू।।11[…]

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रामदेव पीर आवाहन

🌺रामादेव पीर आह्वान🌺

रामा! बाट निहारूं थांरी।
आवो बेगा अलख धणी, हे लीले रा असवारी!

वीरमदे सुगणा रा वीरा, अजमल सुत अवतारी!
मेणादे रा लाल लाडला, नेतल तो घर नारी! १

रामा! बाट निहारूं थांरी।
आवो बेगा अलख धणी, हे लीले रा असवारी!

सिर धर सुंदर पाग सुरंगी, पीतांबर तन धारी!
जरकसी जामा प्हैरै ठाकर, अलख पुरूष अलगारी! २[…]

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