छानै-छानै पकड़ ले गाबड़

आज तक नीं दीठो
किणी थारो रूप रंग
बैवण रो ढंगढाल़ो
कै उणियारो
कैड़ो है!
मनभावणो!
कै अल़खावणो!
विडरूप डरियावणो कै
सुहावणो है!
दांत दाड़म सा है
कै जरख रै उनमान[…]

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कागद़ लिखदूं थानें साई!

कागद़ लिखदूं थानें साई!
मन रा आखर भाव मांडदूं, कलम नेह रसनाई!

बालम!साजण!पीव!छबीला!छैला!कुंवर कन्हाई!
रसिया!मन बसिया!,नट-नागर!कहूं आप नें कांई!1

अठै आप बिन दाय न आवै, मन री कही न जाई!
बाटूं बिरह व्यथा जो ब्रज में, हँससी लोग लुगाई!2[…]

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