थूं म्हारो अरमान लाडेसर

थूं म्हारो अरमान लाडेसर,
मान सकै तो मान लाडेसर।
म्हारो तन, मन, जीवण थूं ही,
थूं है म्हारी ज्यान लाडेसर।।
मायड़ समझ आँख रो तारो,
तुझ पर व्है कुरबान लाडेसर।
बूढापै बाबल री लाठी,
बतळावै विद्वान लाडेसर।।
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थूं म्हारो अरमान लाडेसर,
मान सकै तो मान लाडेसर।
म्हारो तन, मन, जीवण थूं ही,
थूं है म्हारी ज्यान लाडेसर।।
मायड़ समझ आँख रो तारो,
तुझ पर व्है कुरबान लाडेसर।
बूढापै बाबल री लाठी,
बतळावै विद्वान लाडेसर।।
जद जोधपुर महाराजा अभयसिंहजी बीकानेर घेरियो उण बगत बीकानेरियां जयपुर महाराजा जयसिंहजी नै आपरी मदत सारु कैयो। जयसिंहजी फौज ले जोधपुर माथै चढाई करी। आ बात अभयसिंहजी नै ठाह पड़ी तो उणां बीकानेर सूं जोधपुर जावणो ई ठीक समझियो। जोधपुर उण बगत जयपुर रो मुकाबलो करण री स्थिति में नीं हो। राजीपै री बात तय हुई अर 21लाख जयपुर नै फौज खरचै रा दैणा तय होया, जिणमें 11लाख रो गैणो अभयसिंहजी री कछवाही राणी रो दियो अर बाकी रुपियां मौजीज मिनखां री साख में लैणा किया। जद किणी जयसिंहजी नै कैयो कै “हुकम ओ गैणो तो बाईजी राज रो है अर आप लेय रैया हो!!” जयसिंहजी कैयो कै “अबार ओ गैणो जयपुर री राजकुमारी रो नीं है अपितु जोधपुर री राणी रो है सो ले लियो जावै!!”
समझौतो होयां जयपुरियां री भर्योड़ी तोपां पाछी जयपुर रवाना होई।[…]
बात उण टेम री है जद म्हारी बाई (माताजी) आज सूं डेढ साल प्हैली अजुवाळी चवदस रा देशणोक म्हारै नानाणां सूं आप रा दूजा संगी साथी अर संबंधियों रे साथै देशणोक दरसण करवा रवाना हुवी। उण टेम म्है एक दूहौ मन में बणायौ के
ओरण माणस ऊमड्या, फेरी देवा काज।
आयी चवदस आपरी, मेहाई महराज।।
औ दूहौ बणियौ जद म्है औ सोचियौ के इण तरे रा चौथा चरण वाळा दोहा आज तांई किणी नी बणाया है। अर मौलिक चरण री वजह सूं अगर कोशिश करी जाय तो नामी फूटरा दूहा बण सके। इण रे बाद मां भगवती मेहाई री किरपा सूं एक पछै एक दुहा बणता गिया। म्है ऐ दुहा म्हारा सोसियल मिडिया रा ग्रुप “डिंगळ री डणकार” अर “थार थळी” मैं लगातार एक पछै एक पोस्ट करतौ रियौ।[…]
» Read moreराजस्थान री धरा सूरां पूरां री धरा। इण धरा रे माथे संत, सती, सूरमा, सुकवि अर साहुकारां री ठावकी परंपरा रेयी है। जग रे पांण राजस्थान आखै मुलक में मांण पावतो अर सुजस लेवतो रेयौ है। डॉ शक्तिदान जी कविया रे आखरां में-
संत, सती अर सूरमा, सुकवि साहूकार।
पांच रतन मरूप्रांत रा, सोभा सब संसार।।
इण मरू रतनां रे सुजस री सोरम संचरावण वाळौ अठेरो साहित पण सजोरो। शक्ति, भक्ति अर प्रकृति रो त्रिवेणी संगम। शक्ति जाति वीरता रो वरणाव वंदनीय तो प्रकृति सूं प्रेम पढण वाळै नें हेम करे जेडौ तो इणी गत भक्ति काव्य भक्त ह्रदय सूं निकळण बाळी गंगधार। इणी गंग धार में नहाय आपरे जीवण रो सुधार करण रा जतन करणिया अठे रा कवेसर पूरै वतन में निकेवळी ओळखाण राखै। भक्ति काव्य री परंपरा घणी जूनी अर जुगादि। राम भक्ति काव्य कृष्ण भक्ति काव्य रे साथै साथै अठै तीसरी भक्ति धारा ई संपोषित ह्वी अर समान वेग सूं चाली। अर बा है देवी भक्ति काव्य धारा।[…]
» Read moreआस तणो आधार लाडली
सैणां रो संसार लाडली
मरजादा री असली मूरत
पत-समदर पतवार लाडली।
तूं गणगौर दिवाळी दिपती
तीज तणो त्योहार लाडली।
प्रीत नीत परतीत परस्पर
रीत तणी रखवार लाडली।
ऊंचो सीस जिहास जिगर में
है सब थारै लार लाडली।[…]