डिगऴ में मर्यादा रौ मांडण

राजस्थानी रा साहित में मर्यादा रो आछो मंडण, विशेषकर चारण साहित में घणों सखरो अर सोहणो हुयो है। जीवण री गहराई ने समझ परख अर ऊंचाई पर थापित करणे री मर्यादावाँ कायम करी गई है। इण मर्यादा रे पाण ही माणस समाज संगठित अर सुव्यवस्थित रैय र आपरी खिमता अर शक्ति में उतरोतर बढाव करियो है। चारण कवेसरां कदैई नीति रो मारग नी छोडियो है, अर नीतिबिहूणा जीवण ने पाट तोड़ बिगाड़ करण हाऴी नदी रै कूंतै मानियो है, इण भाव रो दोहो निजरां पैश है।
।।दोहा।।
तोड़ नदी मत नीर तूं, जे जऴ खारौ थाय।
पांणी बहसी च्यार दिन, अवगुण जुगां न जाय।[…]