भाज गई भेडांह !!

बीकानेर महाराजा दलपतसिंह स्वतंत्र प्रकृति रा पुरूष हा। इणां री इण प्रकृति रो कुफायदो केई लोगां उणां रै कुंवरपदै में उठायो ई हो जिणरै परिणामस्वरूप बाप-बेटे में खटरास ई पड़ियो पण इणां इण बात री कोई घणी गिनर नीं करी।
महाराजा रायसिंह रै सुरगवास पछै ऐ पाट बैठा। इणां नर नानाणै री गत महाराणा प्रताप रै चीले बैतां थकां मुगल़ सत्ता री घणी कद्र नीं करी।
जैड़ोकै आपां सगल़ा जाणां कै इणां रो नानाणै मेवाड़ महाराणा प्रताप रै घरै हो। इणां ई विद्रोह रो झंडो भलांई ऊंचो नीं राखियो पण मेलियो ई नीं!! इणसूं घबराय पातसाह जहांगीर इणांरै विद्रोही भाई महाराज सूरसिंह रो पख लियो अर बीकानेर माथै सेना मेली।[…]

» Read more

विश्वासां रै गळै कटारी

जूत्यां में पगथळियां वांरी, कियां कटाणी, आ सीखां।
विश्वासां रै गळै कटारी, कियां चलाणी, आ सीखां।

लज्जा रै चिळतै लूगडि़यै, पैबंदां रै जाळ फंसेड़ी।
(इण) कारी वाळी नैं महतारी, नहीं बताणी, आ सीखां।[…]

» Read more

प्रतापसिंह बारहठ प्रशस्ति – ठा. उम्मेदसिंह जी धोल़ी “ऊम”

अमर कविराज आपही, भारत अम्मर भाल।
अमर आप चेतावणी, अमर राण फतमाल।।1।।

अंगरेजां सु डरियो नह, शुत्रुवां रो उरसाल।
भारत मा रो लाडलो, खरवा रो गोपाल।।2।।

जोड़ बारठ राव जबर, भारत अजादि धार।
संगठन बण्यो सूरमा, भारत रा जूंझार।।3।।

कर्जन दल्ली दरबार हि, अंगरेजां री शान।
भूप उदेपर ढाबतां, मिटेज यां रो मान।।4।।

रांण उदेपर रामजी, जांणे बंशज हांन।
भेळा दरबार न मिले, (तो) फिकि अंगरेजां शान।।5।।[…]

» Read more

शहीद कुंवर प्रताप सिंह जी माथै गीत चित इलोल़ – कवि वीरेन्द्र लखावत

।।गीत – चित इलोल़।।
केहरी सुत परताप किनां, जंग जबरा जा’र।
विख्यात हुयगो वीर वसुधा, शा’पुरौ सिरदार।।
(तो)बलिहार जी बलिहार जावै हिन्द औ बलिहार।।1।।

अखरियौ वौ जुल़स अलबत, रपटतौ कर रोल़।
प्रण लियौ परताप फैंकण, बम्ब बढ़ चढ़ मोल।।
(तो)टंटोल़ जी टंटोल़ ठायी बैंक वौ टंटोल़।।2।।[…]

» Read more

अठै ! कै उठै !!

जोधपुर राव मालदेवजी भायां नै दबावण री नीत सूं मेड़ता रै राव जयमलजी नै घणो दुख दियो। जयमलजी ई वीर अर भक्त हृदय राजपूत हा, उणां सदैव इण आतंक रै डंक नै अबीह होय झालियो।
मेड़ता माथै राव मालदेवजी आक्रमण कियो, उण बखत जयमलजी रा भाई चांदाजी मेड़तिया ई मालदेवजी रै साथै हा। उणां, उण बखत किनारो ले लियो जिणसूं मालदेवजी नै थोड़ो शक होयो। मेड़तिया ऐड़ा भिड़िया कै जोधपुर रा पग छूटग्या। नाठतां आपरो नगारो ई पांतरग्या। जिणनै जयमलजी सनमान सैती आपरै भांभी साथै लारै सूं पूगतो कियो। गांम लांबिया कनै जावतां उण भांभी रै मन में आई कै एकर नगारै माथै डाको देय देखूं तो सरी कै बाजै कैड़ोक है!![…]

» Read more

पत तूं राखै पातला!!

सरवड़ी बोगसां रो गांम। साहित्य अर संस्कृति रो सुभग मेऴ।

एक सूं एक टणकेल अर जबरेल कवियां री जनम-भोम सरवड़ी कविराजा बांकीदासजी आसिया अर शब्द-मनीषी सीतारामजी लाल़स रो नानाणो। जैड़ो पीवै पाणी ! वैड़ी बोलै वाणी अर जैड़ो खावै अन्न ! वैड़ो हुवै मन्न!! शायद ओ ईज कारण रैयो होवैला कै ऐ दोनूं मनीषी राजस्थानी साहित्य रा कीरतथंभ हा। होणा ई हा ! क्यूंकै नर नाणाणै अर धी दादाणै रो कैताणो आदू!! पछै ‘मामा ज्यारां मारका, भूंडा किम भाणेज!!'[…]

» Read more

तो कांई म्हारी दाऴ अलूणी ही!!

एकबार खेतसिंह कोई घरेलु काम-काज रै मिस जोधपुर गया। आपरो ऊंठ निमाज हवेली में बांध सामान-सट्टो खरीदण गया अर, पाछा आय हवेली रातवासो लियो। दिनूंगै उठिया तो सऴवऴ सुणीजी कै हवेली मानसिंहजी घेराय दी है।

ठाकरां रो साथ भेऴो होयो अर मुकाबलो करण री तेवड़ी। उणां मांय सूं किणी खेतसिंहजी नै कैयो कै-
“खेतसिंहजी ! थे अणखाधी रा क्यूं मरो !! थे थांरै ऊंठ सवार होय जावो परा !! दरबार रो कोप ठाकरां माथै है दूजै किणी माथै नीं सो थे क्यूं उडतो तीर गऴै में लेवो?”[…]

» Read more

आपां बात करां औरां री, आपां री करसी कोई और

आपणो ओ संसार बादळां री फिरत-घिरत री छाया रै मानींद कद किण सूं छूट जाय, इणरो ठाह कोई नैं ई पण नीं है। देही रै अवसाण पछै पाछो कोई देही मिलसी का नीं इण बात रो ई कोई नैं ठाह नीं है पण ओ जरूर ठाह है कै जको जलम्यो है उण सारू मरणो लाजमी है। मौत अटल साच है, इणमें कोई मीन-मेख नीं है। हां! मौत रा गेला घणा है। कद अर कुणसै बैवै कोई नैं मरणो पड़ै ओ करमां री खेती पर टिकेड़ो है। करमां सारू रिख-मुनियां लारला कई जलमां रा खाता खंगाळण री बातां मांडी है। इण जलम रो ई नीं कई जलमां रो पाप अर पुन्न जीवात्मा रै साथै संचरण करै। आ बात कोरी मानखै पर नीं वरन समूची जीयाजूणा पर लागू हुवै। हां! मिनखा देही री आ बदताई है कै इण देही मांय आपां आछा अर बुरा करमां री जाणकारी ले सकां।[…]

» Read more

नेता – नीति

।।छन्द – त्रिभंगी।।
धारै धक धोळा चंगा चोळा, बदळै खोळा नित बोळा।
जन-धन सूं झोळा भरै सबोळा, करै ठिठोळा ठग भोळा।
रुळपट कर रोळा करै किळोळा,कुरसी दोळा फिर केता।
मन रा ज मलीणा है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।1।।[…]

» Read more
1 2