जोगा! दो जोगा!!

जद-जद हथाई में बैठां तद-तद जोगां री बात सुणां ! बात तो नाजोगां री ई सुणां पण अंजस फखत जोगां माथै ई आवै नाजोगां माथै नीं। जोगो बणणो दोरो है। जोगो बणण सारू मन मोटो राखणो पड़ै। जिण-जिण नरां मन मोटो राखियो, वांरो सुजस संसार भाखियो। इण सुजस रै प्रताप आज ई फजर री वेल़ा में लोग वांनै याद करै। ईशरा-परमेसरा कितरी सटीक कैयी कै-

दीयां रा देवल़ चढै।

देवैला वे अमर रैवैला!! इणमें कोई मीनमेख नीं है। आज सुरतसिंह, जोगो पड़िहार अर जोगो भाटी किण जागा कै किण गांम रा होता आ लोग पांतरग्या पण वे जोगा हा !आ नीं पांतरिया। जद ई तो किणी कवि कैयो कै सुरतै जिसा सपूत, हर दिशा में एक-एक होवै तो चारण-राजपूत संबंध कदै ई जूना नीं होवता-

सुरतै जिसा सपूत, दिस-दिस में हिक-हिक हुवै।
चारण नै रजपूत, जूना हुवै न च्यार जुग।।[…]

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कोमल है कमजोर नहीं है

कोमल है कमजोर नहीं है,
यह कोई झूठा शौर नहीं है,
अतुलित ताकत है औरत की,
इस ताकत का छोर नहीं है,
कोमल है कमज़ोर नहीं है।

विधना ने वरदान दिया है,
ऊंचा आसन मान दिया है,
सृजना का अधिकार इसे दे,
माँ कह कर सम्मान दिया है।
इसके जैसा और नहीं है।
कोमल है कमज़ोर नहीं है।[…]

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ओ बैन-बेटी रो अपमान है !!

बीकानेर रो गणगौर तिंवार चावो। इणरो उछब देखणजोग होवतो। गांम-गांम में गवर री सवारी निकल़ती अर कुए कै तल़ाब पाणी पी पाछी आवती। गैणां सूं लड़ाझूम गवर री सवारी साथै बांकड़ली मूंछां अर बूकियां में गाढ वाल़ा मरद, करद ले रक्षा में बैता।

गवर लुगायां रै कोड अर उमंग रो तिंवार सो बूढी-बाल़ा अर परणी-कुंवारी घणै हरख रै साथै मनावै-

मनचायो वर मांगती, पूजै सब गणगौर।
परणी अमर सुहाग नै, कन्या सुघड़ किशोर।।[…]

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वीरा तूं बणजै जायल रो जाट!!

बात यूं चालै कै दिल्ली माथै तुगलक वंश रो शासन हो। हर दिल्ली रै शासक री कुदीठ नागौर माथै रैयी क्यूंकै आ धरा उपजाऊ ही

सियाल़ो खाटू भलो, ऊनाल़ो अजमेर।
नागाणो नितरो भलो, सावण बीकानेर।।

इण वास्तै इण धरा माथै घणकरोक शासन दिल्ली रो रैयो। दिल्ली शासन नै कर बीजो उगराय दिल्ली पूगतो करण सारू
उठै रै शासकां जायल रै गोपाल़जी जाट जिणां री शाखा बासट अर खिंयाल़ै रा धरमोजी जाट जिणांरी शाखा बिडियासर ही नै ओ जिम्मो दे राख्यो हो।[…]

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गीत वरसाल़ै रो प्रहास साणोर

उरड़ियो आज उतराध सूं ऐरावतपति
खरै मन उमड़ियो बहै खातो।
गहरमन नाज अगराजतो घुमड़ियो
मुरड़ियो काल़ रो देव माथो।।1

उमँग असमाण में वादल़ा आहूड़ै
मोदधर धाहूड़ै होय माता।
निपट चढ वाद में मलफिया नाहूड़ै
तीख में बाहूड़ै होय ताता।।[…]2

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अम्बुद

उर में सुख उपजाए अम्बुद
अमृत-जल बरसाए अम्बुद
वसुधा की सुन अरज गरज कर,
उमड़-घुमड़ कर आए अम्बुद।

सूरज की निर्दयता लख कर
कहती धरती बिलख बिलख कर
सोया कहाँ अरे ओ सुखकर
धरती का सुन राग भाग कर,
छोड़ गगन छिति धाए अम्बुद।[…]

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म्है अबै पाणी तिलाक दियो!!

एक समय हो जद लोग आपरी बात री कीमत जाणता अर हिम्मत रै साथै उण माथै कायम रैता। मर जाणा कबूल पण दूध- दल़ियो नीं खाणा री बात माथै अडग रैता। आज लोग लांठै मिनख री नगटाई अर नुगराई रो विरोध करण सूं डरै अर उणरै आगै लटका करै। क्यूंकै ‘कुतको बडी किताब, लांठाई लटका करै’ पण उण बखत अन्याय अर अत्याचार रै खिलाफ उठ ऊभा होवता तो का तो बात मनायर छोडता अर पार नीं पड़ती तो उण जागा नै तिलाक सदैव रै सारू छोड देता। छोड देता तो पछै भलांई कोई कितरा ई चीणी रा धोरा बतावो वांरो मन नीं डिगतो।
ऐड़ो ई एक किस्सो है महाराजा सूरतसिंहजी बीकानेर री बखत रो। […]

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कल़ाऊ रा काचरिया याद है !!

आलाजी बारठ कल़ाऊ रैवै। कनै घणो वित्त, घणो विभो। आगो दियो पाछो पड़ै। रामजी राजी। एक दिन वे आपरै चंवरै बैठा माल़ा फेरै हा जितै एक बांमणी आपरै डावड़ै नै लियां उणांरै कनै आई अर कैयो कै – “बाजीसा म्है आपरै शरण बिखो काढण अर दिन तोड़ण आई हूं!!”

उणां उणनै पूरो आवकारो देय एक झूंपड़ो रैवण नै दे दियो अर सीधै री व्यवस्था करदी। टाबरियो पांच-सात वरसां रो हो सो उणनै उणां आपरा टोघड़िया चरावण रो काम भोल़ा दियो।[…]

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म्हारै कानां रा लोल़िया तोड़ै! तो तोड़ लेई!!

बीकानेर रो सींथल़ गांम रोहड़ियां रो कदीमी सांसण। सांसण गांम में राज रो कोई दखल नीं अर जै कोई राज रै जोम में दखल देवण री कोशिश करतो तो सोरै सास उठै रा वासी इण बात नै सहन नीं करता अर आपरो ठरको कायम राखण नै मर पूरा देता। ऐड़ी ई एक बात है सांसण गांम री टणकाई सारू मरण अंगेजण री।

बात उण दिनां री है जिण दिनां बीकानेर माथै महाराजा रतनसिंह रो शासन हो। उणां री सेना में रिड़मलसर-सागर रो एक सिपाही-मुसल़मान नूरदीन किणी छोटे-मोटै पद माथै चाकरी करतो। वो एक दिन आपरै दस-पंद्रह जिणां साथै बैतो सींथल आयो अर विंसाई खावण सारू ठंभियो। उणी बखत रुघाराम नाई रछानी (नाई का समान) लियां कनैकर निकल़िया। नरदीन उणांनै हेलो कियो कै – “इनै आ रे!”[…]

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हर दिया हाथ जिण सीस हेरलो – गीत सोहणो

।।गीत – सोहणो।।
हर दिया हाथ जिण सीस हेरलो,
निजरां आयो बीह नहीं।
दोखी मुवा पटक सिर देखो,
रीस उवां री धरी रही।।1

उबरै नाथ कृपा झल़ अगनी,
चटको विसहर नाय चलै।
पच -पच अरि थकै पिंड पूरा,
हर रै आगै नाय हलै।।2[…]

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