ईसरदासजी रो जस वखांण – मीठा मीर डभाल

दाखूं ईशरदास रा, जस आखर जगदीश।।१।।
हेक दास हिंगळाज रो, करे गयो औ कौल।
आप तणै घर आवसूं, बारठ सुणैह बोल।।२।।
सूरै बारठ सांभळे, विध मन कियो विचार।
जरूर मों घर जनमसी, अबै लेय अवतार।।३।।
गिरी हिम्म तन गाळयो, अडग करे मन आस।
जनम लेय हैं जावणो, वा सूरा रे वास।।४।।
सूरा घर जन्मयो सतन, धिन अवतार धरैह।
ईसर नाम दिनो अवस, कोडे हरख करैह।।५।।[…]