चारण साहित्य का इतिहास – आठवाँ अध्याय – चारण काव्य का नव चरण (उपसंहार) – [Part-C]
(ख) कवि एवं कृतियाँ १. बद्रीदान:- ये कविया शाखा में उत्पन्न हुए हैं (१८९० ई०) और पाली (मारवाड़) जिलान्तर्गत ग्राम बासनी के निवासी हैं। इन्होंने अपनी प्रारिम्भक शिक्षा मातृभाषा राजस्थानी में अपने पिता अजीतदान जी से प्राप्त की (१८९७ ई०)। साथ ही पं० शंकरलाल (बनेड़ा) से भी ज्ञान ग्रहण किया। इस प्रकार इन्होंने दस वर्ष की आयु में कविता लिखना आरम्भ कर दिया। यह देख कर रायपुर-ठाकुर हरीसिंह ने इन्हें अपने पास रख लिया। रायपुर राजघराने की सेवा करते हुए ये अपना ज्ञान बढ़ाते गये। ठाकुर साहब के निधन के बाद ये जोधपुर आ गये जहाँ इन्होंने वकालत की परीक्षा […]
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