राजस्थानी भाषा

संसार की किसी भी भाषा की समृद्धता उसके शब्दकोष और अधिकाधिक संख्या मे पर्यायवाची शब्दो का होना ही उसकी प्रामाणिकता का पुष्ट प्रमाण होता है। राजस्थानी भाषा का शब्दकोष संसार की सभी भाषाओं से बड़ा व समृद्धशाली बताया जाता है। राजस्थानी में ऐक ऐक शब्दो के अनेकत्तम पर्यायवाची शब्द पाये जाते है, उदाहरण स्वरूप कुछेक बानगी आप के अवलोकनार्थ सेवा में प्रस्तुत है।

।।छप्पय।।

।।ऊंट के पर्यायवाची।।

गिडंग ऊंट गघराव जमीकरवत जाखोड़ो।
फीणानांखतो फबत प्रचंड पांगऴ लोहतोड़ो।
अणियाऴा उमदा आखांरातंबर आछी।
पीडाढाऴ प्रचंड करह जोड़रा काछी।[…]

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प्रशंसा

प्रशंसा बहुत प्यारी है,
सभी की ये दुलारी है,
कि दामन में सदा इसके,
खलकभर की खुमारी है।

फर्श को अर्श देती है,
उमंग उत्कर्ष देती है,
कि देती है ये दातारी,
हृदय को हर्ष देती है।[…]

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भूरजी, बलजी पर बड़ौ साणौर गीत – महाकवि हिंगलाजदानजी कविया

लखे घोर घमसांण ऊडांण ग्रीधण लहै,
अपछरां पांण बरमाऴ ओपै।
ऊगतो विचारै भांण आरंभ इसा,
किसा कुऴ भांण रै सीस कोपै।।

बाट उप्रवाट बहता थका बाहरू,
उरस अड़ि अबीढै घाट आया।
दाटणा जिका कुज्रबाट दीपक दहूं,
थाटणा थाट मुह मेऴ थाया।।[…]

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मिनखां सूं अब टऴिया गांव

मिनखां सूं अब टऴिया गांव।
भूतां रै संग भिऴिया गांव।।

दूध दही री नदियां बैती
दारू सूं अब कऴिया गांव।।

सल़िया सऴिया नेही होता
करै कुचरणी अऴिया गांव।।

खुद री नींद सोवता उठता।
अब तो है हांफऴिया गांव।।[…]

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रतनू-रतनमाल़ा

मान कमध रै माथ,धणी रूठो छत्रधारी।
जद घिरियो जाल़ोर,भड़ चढै बल़ भारी।
हियै वीर हैकंप,धीरता छूटी धीरां।
उण वेल़ा अजरेल,गाढ तजै गँभीरां।
मयाराम नै नर मेघड़ो,कुशल़ इंद वर कीरती।
रणबीच झली उर रतनुवां,चढ तरवारां चीरती।।[…]

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उर में मत ना लाय उदासी

इळ पर नहचै वो दिन आसी,
गीत रीत रा सो जग गासी,
राख याद घातां री रातां,
उर में मत ना लाय उदासी।

करमहीण रै संग न कोई,
काबो मिलै न मिलणी कासी।
पुरसारथ रो पलड़ो भारी,
इणमें मीन न मेख जरासी।[…]

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आपो वोट अमोल

चाह मिटी ना चिंत गी, चित में रयो न चैन।
सब कुछ ही हड़पड़ सज्या, दिल में व्यापी देन।।

आता के उपदेश कज, हर ले कछु हरमेस।
संत करै ज्यां सामनै, इधक लुल़ै आदेश!!

मैं-हंती ना मद तज्यो, देख चढ्या घण दंत।
चकरी चढ्या चुनाव री, सो जो सुणता संत!!

दुख में ले कानो दुसट, सुख में पाल़ै सीर।
गरज पड़्यां आवै गुड़क, झट ऐ मेल जमीर।।[…]

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बध-बध मत ना बोल

बध-बध मत ना बोल बेलिया,
बोल्यां साच उघड़ जासी।
मरती करती जकी बणी है,
पाछी बात बिगड़ जासी।।

तू गौरो है इणमें गैला,
नहीं किणी रो कीं नौ’रो।
पण दूजां रै रोग पीळियो,
साबित करणो कद सौ’रो।[…]

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शरणागत सारू अगन रो वरण

आपांरै अठै कैताणो है कै ‘आप मरतां बाप किणीनै ई याद नीं आवै’। बात सही ई है पण अठै ऐड़ा लोग ई हुया है जिकै बाप अर बोल नै एक ई मानता अर आं माथै आंच आयां मर पूरा देता। बात झलगी तो झलगी!! पछै तो ‘तबलग सांस शरीर में, जबलग ऊंची ताण।’ जिकै ऊंची ताणै, उणांनै ईज जग जाणै। जिकै ऊंची नीं ताणै उवै आयां ज्यां ई उठ’र बुवा जावै। लारै ‘खुड़को हुवो न खोज’ री बात चालै। पण जिकै भाइयां नै सुख, सैणां नै अंजस अर आयै अवसर नै सिग चाढ’र पिता री मंशा नै पूरै, उवै ईज जगत में धनकार लेय’र जावै-

सुख भायां सैणां अंजस, आयां सिग अवसाण।
पितु मनसा पूरावियां, ज्यां जायां धन जाण।।

आपरै जनमणै नै जिकै धिन-धिन कर’र गया उणांमें एक चावो नाम है मा देमां रो।[…]

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चारणां कियौ नित अहरनिस चांनणौ – महेंद्रसिंह सिसोदिया ‘छायण’

।।दूहौ।।
सीर सनातन सांपरत, राखण रजवट रीत।
अमर सदा इळ ऊपरां, पातां हंदी प्रीत।।

।।गीत – प्रहास साणौर।।
पलटियौ समै पण छत्रियां मती पलटजौ,
राखजौ ऊजल़ी सदा रीती।
संबंधां तणी आ देवजौ सीख कै,
पुरांणी हुवै नह जुड़ी प्रीती।।[…]

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