चारण भगत कवियां रै चरणां में

चारण भगत कवियां रै चरणां में सादर-
।।दूहा।।
चारण वरण चकार में, कवि सको इकबीस।
महियल़ सिरहर ऊ मनूं, ज्यां जपियो जगदीश।।1
रातदिवस ज्यां रेरियो, नांम नरायण नेक।
तरिया खुद कुल़ तारियो, इणमें मीन न मेख।।2
तांमझांम सह त्यागिया, इल़ कज किया अमांम।
भोम सिरोमण वरण भल, निरणो ई वां नांम।।3
जप मुख ज्यां जगदीश नै, किया सकल़ सिघ कांम।
गुणी करै उठ गीधियो, परभातै परणांम।।4
भगत सिरोमण भोम इण, तजिया जाल़ तमांम।।
गुणी मनै सच गीधिया, रीझवियो श्रीरांम।।5[…]