आजादी री ओट अठै…

आजादी री ओट अठै।
पल़र्या देखो झोट अठै।
अभिव्यक्ति री ओट ओल़ावै, पसर रही नित खोट अठै।।

भाषा रो पोखाल़ो कीनो।
संस्कृति नै पाणी दीनो।
भरी सभा में भलां देखलो, शिशुपाल़ रो मारग लीनो।।[…]

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अमर रहे गणतन्त्र हमारा – राजेश विद्रोही

भाई का दुश्मन है भाई
मन्दिर मस्जिद हाथापाई
हिन्दुस्तानी सिर्फ रह गये
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई
कौमी यकजहती रोती है
गया भाड़ में भाईचारा।
मगर हमें इन सब से क्या है
अमर रहे गणतंत्र हमारा।।[…]

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हर दिल हिंदुस्तान रहेगा

ना मिलती है अनायास ही,
ना मिलती उपहारों में
ना पैसे के बल आजादी,
मिलती कहीं बाजारों में

लाखों का सिंदूर पुँछा है,
लाखों सूनी हुई कलाई
लाखों कोख चढ़ी कुर्बानी,
तब जाकर आजादी आई[…]

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जे थूं म्हारो हाथ पकड़ले!

जे थूं म्हारो हाथ पकड़ले!
आथड़तो
पड़तो
थम जाऊं
रम जाऊं
नैणां गहर समंद में
लहर नेह री तिर जाऊं
जे थूं म्हारो हाथ पकड़लै!
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जाजम जमियोड़ी बातां में–

थांरी जीवटता
अर हूंस थांरली
कष्ट सहण री खिमता थांरी
अबखायां सूं हंस-हंस बंतल़
करी हथाई विपदावां सूं
परड़ां वाल़ै भांग फणां नै
बूझां वाल़ो तकियो दे नै
मगरां वाल़ी सैजां ऊपर
पलक बिंसाई
खा फूंकारो
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पुस्तक समीक्षा – प्रकृति-संस्कृति री ओपती सुकृति-‘रूंख रसायण’ – महेन्द्रसिंह सिसोदिया ‘छायण’

पुस्तक समीक्षा – प्रकृति-संस्कृति री ओपती सुकृति-‘रूंख रसायण’ – महेन्द्रसिंह सिसोदिया ‘छायण’
लेखक – डॉ. शक्तिदान कविया

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सिरोल़ै सतरंगिये तारां

सहरां री चकाचौंध सूं,
साव अजाण्यो,
धोरां मगरां
डगरां डगरां
राख छाणनै पाणी छाण्यो।
हेली रै हलकारै
जिथिये,
निरभै रैवण
बोल सांभल़्यो,[…]
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प्रताप – प्रशंसा

।।गीत चित इलोल़।।
इक इकां सूं हुवा आगल़
पुणां बप्पां पूत।
माण कज रण बीच मूवा
रूक ले रजपूत।
तो रजपूतजी रजपूत रंग धर राजिया रजपूत।।१[…]

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वैवाहिक गीत – बनासा री मदील मिजाज करे छै – भक्तिमति समान बाई

बना सा री मदील मिजाज करै छै।
सिया निरखत मोद भरै छै, रघुवर री मदील मिजाज करै छै।।

सबहि सहेल्यां चढत महल में, सबहि झरोकाँ झुकै छै।
या छबि देखी राम बना री, चंदा री ज्योत छिपै छै।।
बना सा री मदील……………

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