रंग रै बादरिया

जोधपुर माथै महाराजा मानसिंहजी रो राज। मारवाड़ मोटी रियासत ही सो सीमावां री चौकस निगै राखणो आंझो काम हो, क्यूंकै मानसिंहजी रो घणकरोक बखत दोघड़चिंता अर आपरां सूं ई इज सल़टण अर खसण में बीतो।
आदमी दूजां सूं जोरदार राटक बजाय सकै पण घर रां सूं सल़टणो अबखो काम हुवै। भाई खाली बेटी नीं परणीजै बाकी वै सगल़ा थोक करै जिणसूं आदमी चिंता अर रीस री झाल़ में झुसल़ीजतो रैवै।
कविवर करमाणदजी मीसण सही ई कह्यो है कै संप जैड़ी कोई बीजी चीज नीं है। जे संप नीं है, मनां में तेड़ां है तो लंप जैड़ो कमजोर घास ई भाखर रो माथो भांग आपरी जड़ां लोप लैवै-
करमाणद आणद कहै, सबसूं प्यारो संप।
राय पड़ै सिर पत्थरां, जद जड़ लोपै लंप।।[…]