मैंने तुझे स्तनपान करवाया है!

…जब हम मध्यकाल का इतिहास खंगालते हैं तो ऐसे क्रूर अध्याय हमारे सामने आते हैं जिन्हें पढ़कर या सुनकर हमारा हृदय द्रवित हो उठता। पश्चिम राजस्थान में ऐसे छोटे-मोटे कई सामंत हुए हैं, जिन्होंने अपने पूर्वजों की पुनित परंपराओं को तिलांजलि देकर ऐसे कलुषित अध्याय सृजित किए जिनका कलंक अभी तक नहीं मिट पाया है।

ऐसा ही एक किस्सा है झांफली गांव की रांणां माऊ व कोटड़ा के राणा दुर्जनसाल का।…

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ईश्वर से प्रश्न पूछने के साहसी भक्ति कवि ईसरदास. . .। – तेजस मुंगेरिया

…इसी भक्ति काव्य की डिंगल़ काव्य परम्परा में ईसरदास भादरेश का नाम अग्रगण्य है। ईसरदास के भक्ति काव्य में समन्वय का महान् सूत्र समाहित है जो तुलसीदास के समन्वय से भी व्यापक व विशाल है। यहाँ इन दो कवियों के काव्य में तुलना करना इसलिए समीचीन है क्योंकि अक्सर तुलसी के संबंध में हजारीप्रसाद द्विवेदी के समन्वय विषयक तथ्य को चटकारे लेकर सुनाया जाता है जबकि ईसरदास के काव्य में शामिल नाथपंथी प्रभाव तथा एक ही ग्रंथ (हरिरस) में निर्गुण तथा सगुण का समान रूप से पोषण तथा सबसे अलहदा बात कि मातृ काव्य (देवियाँण) तथा वीर काव्य (हाला झाला रा कुण्डलिया) का तुलसी के काव्य में सर्वथा अभाव है।…

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चारणों के गाँव – शोभावास

ग्राम शोभावास, तहसील देसूरी जिला पाली में स्थित महिया शाखा का गाँव है जिसका ताम्रपत्र संवत १६०१ फाल्गुन कृष्णा १२ शुक्रवार को महाराणा उदयसिंह द्वारा सीहा जी को दिया गया। ताम्रपत्र की छाया प्रति तथा उसका टेक्स्ट यहाँ दिया जा रहा है। बड़ी इमेज देखने के लिए निम्न इमेज पर क्लिक करें।[…]

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भूल न करणी भूल

बोयां कांटा बापजी, फळै न लागै फूल
जगबरती नैं जाणतां, भूल न करणी भूल
भूल न करणी भूल, इयां मत काढ़ो आंटा
बणी बणाई बात, बिगड़सी बोयां कांटा।[…]

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