मेरा यही पश्चाताप है

…क्या कारण है कि लोक में यह मनस्विनियां देवियों के रूप में समादृत होकर सर्वसमाज में स्वीकार्य है?
इसका सीधासाधा कारण यही है कि इन मनस्विनियों ने अपना जीवन लोकहिताय समर्पित किया। जो अपना जीवन लोकहिताय जीते हैं और लोकहितार्थ ही समर्पित करते हैं। लोक उन्हीं को अपना नायक मानकर उनकी स्मृतियां अपने मानसपटल पर सदैव के लिए अंकित रखता है।
ऐसी ही एक घटना है मा सभाई की।[…]
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