रघुवरजसप्रकास [9] – किसनाजी आढ़ा
— 200 — गीत वेलिया सांणौर लछण दूहा मुण धुर तुक अठार मत, बीजी पनरह बेख। तीजी सोळह चतुरथी, पनरह मता पेख।।६८ सोळह पनरह अन दुहां, गुरु लघु अंत बखांण। कहै ऐम सुकवी सकळ, जिकौ वेलियौ जांण।।६९ अरथ जिण गीत रै पैहली तुक मात्रा १८ होय, दूजी तुक मात्रा १५ होय, तीजी तुक मात्रा १६ होय, चौथी तुक मात्रा १५ होय। दूजा सारां दूहां मात्रा १६। १५। १६। १५। तुक के अंत आद गुरु अंत लघु आवै, जिण गीत रौ नांम वेलियौ सांणौर कहीजै। अथ गीत वेलिया सांणोर रौ उदाहरण गीत औयण जे रांम स्रीया नित अरचै, सुज चरणै सिव […]
» Read more