आज आवसी अंबिका

( मेहाई सतसई – अनुक्रमणिका )

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आज आवसी अंबिका, मन मंदिर रे मांझ।
हरखित हुय हुलसित फिरुं, मेहाई महराज।।२४८
आंगण आज बुहारियौ, आवै माजी आज।
जाजम लाल जमायदूं, मेहाई महराज।।२४९
कंचन कळस मंडाय दूं, गंगा जळ भरिया ज।
सामेळो सुंदर करुं, मेहाई महराज।।२५०
ढोली ढोल वजाडता, झालर वेळा आज।
जय जय गूंजै आपरी, मेहाई महराज।।२५१
दीपक धर देशाणपत, जोत करी तौ काज।
पण तूं पुहमि प्रकास है, मेहाई महराज।।२५२
धूप दीप धमरोळ घण, करणी मां रे काज।
कीधा मन मँह कोड कर, मेहाई महराज।।२५३
गावै मंगळ गान तव, सह महिला सुर साज।
शंख नाद मन लोक ह्वै, मेहाई महराज।।२५४
मंगळ करणी मां ज है, मंगळ करणी म्हां ज।
मंगळीक मेहा ज है, मेहाई महराज।।२५५

~~नरपत आसिया “वैतालिक”

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