आज उडाए बाज

baaz

व्यर्थ न अब बैठे रहो, बनकर यारों बुद्ध।
सुख शांति सौहार्द को, यवन करे अवरूद्ध।।१

अमन चैन की बात कर, चलते चाल विरूद्ध।
उनको देने दंड अब, करें न क्यों हम युद्ध।।२

हाथों में गांडीव धर, अर्जुन है तैयार।
आज कृष्ण पर मौन क्यों, महा समर को यार।।३

नस नस नव साहस भरा, पौरूषमय हर प्राण।
सैनिक अर्जुन भीम से, कृष्ण बने पाषाण।।४

इक गीदड जो शेर का, पहने छद्म लिबास।
हम पर गुर्राने लगा, उसका करें विनाश।।५

छोड कबूतर अमन के, आज उडाए बाज़।
समझ समय की मांग को, हम बदलें अंदाज।।६

~~©वैतालिक

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