ग़ज़ल – आं तो वांनै भला कहाया

आं तो वांनै भला कहाया।
भोलां नै रूड़ा भरमाया।।

फूट फजीती फोरापण सूं,
जबरा देखो पांव जमाया।।

न्याय ताकड़ी काण घणेरी,
पार पड़ेली कीकर भाया?

हंसती-रमती बस्ती मांयां,
झाड़ो देय’र भूत जगाया।।

आजादी री ओट ओल़ावै,
जूना देखो वैर जताया।।

भाईपो भेल़प नै वीसर्या,
थान राड़ रा जबरा थाया!!

समता ममता खिमता रै तो,
जोर अल़ीतो सोर लगाया।।

सारी कसर एक ई साथै,
भोर भचीड़ै की भरपाया।।

हरवल़ जत्थो कायर थांरो,
मूंढै में बैठी है माया।।

थांरी मिनड़ी थांसूं म्याऊ!
जद ही तो कर री है भाया।।

रागो अवर वैरागो दोनूं,
है तो एक उदर सूं जाया!!

आप मर्यां बिन सुरग कठै है?
तजो अजै ई की गैलायां।।

~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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