आपो वोट अमोल

चाह मिटी ना चिंत गी, चित में रयो न चैन।
सब कुछ ही हड़पड़ सज्या, दिल में व्यापी देन।।
आता के उपदेश कज, हर ले कछु हरमेस।
संत करै ज्यां सामनै, इधक लुल़ै आदेश!!
मैं-हंती ना मद तज्यो, देख चढ्या घण दंत।
चकरी चढ्या चुनाव री, सो जो सुणता संत!!
दुख में ले कानो दुसट, सुख में पाल़ै सीर।
गरज पड़्यां आवै गुड़क, झट ऐ मेल जमीर।।
महापुरुषां नै गाल़ मुद, निज मुख दैणा नीच।
पाजी नित पोमीजणा, बैठ बजारां बीच।।
मिल़जुल़ रैवण री मुदै, शुद्ध मन देय न सीख।
ऐ तो कैवै आयनै, लोपी थापी लीक।।
काल़ा मन तो काग सम, तन उजवाल़ा तीख।
छिदराल़ा ऐ छायगा, ठग चाल़ा रच ठीक।।
दगा सगां नै देवणा, भिड़ा जगा नै भूत।
प्रेम बुहारण पसरिया, देख राड़ रा दूत।।
काम कियो नाहीं कदै, तद जद मिलियो ताज।
जन जन नै वै जोयर्या, अकल काढवा काज।
बांवल़िया बोता फिरै, बद कावल़िया बोल।
इसड़ां नै थे उमँग नै, आपो वोट अमोल!!
नुगरा के पाजी निपट, दागी केयक देख।
इत तो कुसती अपरबल़, आगै सगल़ा एक।।
साच होमियो जिगन सब, विघन सीखिया वीर।
लगन आयगा लेयनै, बैच नैण रो नीर।।
वारी नह नह बीजल़ी, सड़क टूटोड़ी साव।
एकर पाछा आयगा, चरचा करण चुणाव।।
गांम-गांम में घोल़ियो, जात-जात में जैर।
कद रो ऐ काढै कहो, बात-बात में वैर।।
उत्पन्न अबखायां करी, हल्ल करी नह हेक।
ऊ गल्ल मीठी ऊचरै, दगो छिपायर देख।।
पाणी रो नहीं पूछता, नहीं मिलाता नैण।
इण रुत वै ई आपरै, सबसूं मोटा सैण।।
रीता तो राजी रहै, मन हेती मजबूत।
मानो वै सागी मिनख, जीत्यां देवै जूत।।
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी