आवड माता री स्तुति – अनोपजी वीठू

।।छंद हरिगीत (सारसी)।।
गणेश गणपत दीजिये गत उकत सुरसत उजळी।
वरणंत मैं अत कीरति व्रत शगत सूरत संव्वळी।
वा वीश हथसूं दिये बरकत टाळे हरकत तावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।1।।
मामड चारण दुःख मारण सुख कारण संमरी।
दिव्य देह धारण कीध डारण तरण तारण अवतरी।
समर्यां पधारण काज सारण धन वधारण धावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।2।।
हिंगळाज माता हुल्लरातां दीप सातां दरशणी।
वरदाण दाता वीरधातां पाळता डग परसणी।
बंधव जीवातां शोषवातां हालता मग हाकडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।3।।
बावन्न ओरण रन्न वन्नं दैत बावन तैं दळया।
थापना बावन ठौड थाहि मढ्ढ बावन मोकळा।
बावन्न नामां विजय बोले वीर बावन वांकडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।4।।
आई क्रमळ्ळा नाम उभट पावणे आशापुरी।
सिंघणी व्रत जोगणीशज आइनाथय उच्चरी।
कत्तीयाणी नागणेची पीणोतणी नामे पडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।5।।
तुं रवेची चक्करेची सत्तरेची तुं सिया।
तुं चेडेची उनडेची माडेची मोटी मया।
बोयणेची वडहाडरी धणियांणी धावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।6।।
तुं तणोटी,बिंझणोटी,भणयीणेची भूरागिरि।
आरणेची ओनासरी पाखेरीज पुनागिरी।
मानेशरी साते सहुवाणी तखत बैठी त्रेमडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।7।।
रिवराय काळे डुँगरेची भणंतां भोजासरी।
साबडामठ देगरायस सांगिया रावतसरी।
घंटियाळ आरंभे गोयणेची चाळकनेची चावडां।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।8।।
।।छप्पय।।
आवड नै आशीह,छाछी महा छतराळी।
गैल छैल गिरराय,रुपां लांगां रखवाळी।
भेळो महरखो भाई,सात बहनां सुरराई।
तात मामड पुंखतौ,मोहवती जी माई।
चारणी जात नवलख चरित,त्रेमडेराय मोटा तमां।
करजोड वीठू अनोपो करे नमस्कार नमां नमां।।1।।
~~कवि अनोपजी वीठू