अमर रहे गणतन्त्र हमारा – राजेश विद्रोही

भाई का दुश्मन है भाई
मन्दिर मस्जिद हाथापाई
हिन्दुस्तानी सिर्फ रह गये
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई
कौमी यकजहती रोती है
गया भाड़ में भाईचारा।
मगर हमें इन सब से क्या है
अमर रहे गणतंत्र हमारा।।
हम सब मजहब के भरमाये
सगे हो गये आज पराये
पूछ रहा फिर आज कबीरा
‘दुइ जगदीश कहाँ ते आये’ ??
क़ाफिर का फतवा पाकर के
रोता है रसखान बिचारा।
मगर हमें इन सबसे क्या है
अमर रहे गणतन्त्र हमारा।।
कुर्सी अब भगवान हो गयी
धरम और ईमान हो गयी
सत्ता के ठेकेदारों की
राम और रहमान हो गयी
जिसकी लाठी भैंस उसी की
हारे को हरिनाम सहारा।
मगर हमें इन सब से क्या है
अमर रहे गणतन्त्र हमारा।।
नेताजी की उजली टोपी
देशी जामा चाल युरोपी
राजनीति के वृन्दावन में
लाखों कृष्ण एक है गोपी
महामहिम मंत्रीजी बोले
लेकर सत्ता का चटखारा।
अजर रहे कुर्सी की काया
अमर रहे गणतन्त्र हमारा।।
~~©राजेश विद्रोही