अम्बिका इन्द्रबाई – गौरीदान जी कविया

गौरीदान जी कविया गांव कुम्हारिया रा वासी माँ करणी जी रा मोटा भगत अटूट आस्थावान विचारधार अर दृढ धारणा रा धणी माँ भगवती भव भय भंजनी रा भजन मे मगन रहिया अर सदा सर्वदा माँ री शरणागत सेवा साधना मे जीवन समर्पित राखियो, आज री चितारणी में गौरीदान रो भुजंगप्रयात छंद।
।।छंद – भुजंगप्रयात।।
क्रमं युक्त दोशी कलि काल आयो।
ज्वितं पात यूथं अनाचार छायो।
धरा भार उतार वा मात ध्याई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
अती दुष्टा दुष्ट कीन्ही अघाई।
प्रथी पाप अन्याय को बोझ पाई।
सती धार औतार कीन्ही सहाई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
कई बार संसार के काज कीन्है।
दिलां सेवगां हर्ष आनन्द दीन्है।
थिरू आदि ब्रह्मादि की पक्ष थाई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
सदा सर्वदा सर्व व्यापी सदाई।
धरै ध्यान इन्द्रादि के काज ध्याई।
खगां चंण्ड मुण्डादि दीनै खपाई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
चढी सींह की पीठ सानन्द चाहै।
मदं पान कीनै रमै जग्त माहै।
छबी तेज देखेर बिन्दू छपाई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
दिपै भाण जो तेज आणन्द दाता।
बणै आवङा रूप विख्यात बाता।
महा शक्ति ओतार सो जग्त मांई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
महालक्ष्मी शंकरी वेद वाणी।
महा कालिका मालिका कात्तियाणी।
हतै रक्त बीजादि चक्रं चलाई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
तुहीं तारणी विश्व गंगा तरन्नी।
कृपा कारणी चारणी श्री करन्नी।
दया धारणी मात देशाण राई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
गिरा ग्यान गोतीत सावत्री गीता।
सही आदि शक्ती महंमाय सीता।
मनो वांछितं सिध्द देणी महाई।
बिराजै तुहीं अम्बिका इन्द्रबाई।।
तद्र बीनती यों करे दास तेरो।
मिटावै सबै दुःख ओ शत्रु मेरो।
कहै दान गोरी गुणां तूझ गाई।
दया कीजिये मूझ पै इन्द्रबाई।।
~~गौरीदान जी कविया
प्रेषित: राजेन्द्रसिंह कविया (संतोषपुरा सीकर)