अम्मा तेरी है क मेरी

आ दुनिया अलबेली है। इणमें बडाबडी रा डेरूं बाजै। अेक सूं अेक उपरला पीर पैदा हुवै। हर मिनख खुद नैं दुनिया रो सबसो स्याणो अर सही आदमी मानै अर दूजोड़ां रै कामां में कमियां निकाळै। खुद री अकल माथै इधको गुमेज राखै। कई बार जाणबूझतां लोग जागतां नैं पगांथियां न्हाखण री असफळ कोसीसां करै। कई बार तो फब ज्यावै पण कई बार खुद रो वार खुद पर भारी पड़ ज्यावै। आपसूं उपरलो उस्ताद मिल्यां आंख्या चरड़-चरड़ खुल ज्यावै। नहलै पर दहलो मारणियां रो घाटो कोनी, इण खातर घणी हुंस्यारी दिखाण सूं पैली आदमी नैं सोचणो जरूर चाईजै।
आपणै अठै घरां मांय सासू अर बहू री छोटी-मोटी खींचताण आम बात मानीजै। सासू अर बहू री खींचताण में दुधारी तलवार रा रगड़का बापड़ै बीं मिनख रै लागै जको अेक रो बेटो अर अेक रो घरधणी है। बो दो पाटां रै बिचाळै पिसीजै। बात घणी बधज्यावै जणां न्यारा-न्यारा होवणो पड़ै। अेकर इयांकलै ई जंजाळ में फंस्योड़ै अेक मोट्यार राड़ आडी बाड़ करण री सोच’र आपरी मा नैं गाम में राखी अर बहू नैं शहर मांय ले आयो। पण न्यारी हुयां पछै ई बहू रै मन में सासू रै प्रति भाव सागण ई रैया। सासू-बहू रै ठीकरी में घाली ई नीं रळै। बहू आपरी सासू नैं सबक सिखावणो चावै। अेक दिन बीं आपरै घरधणी सामी बीमारी रो नाटक कर्यो। पेट दुखण रो बहानो बणाय’र तड़ाछां खावण लागी। वेद हकीम कर धाप्या पण बा तो ढबै ई नीं। दवाई देवती बगत मौको देख’र बण आपरै मोट्यार नैं दुखी स्वर में कैयो, अै दवायां म्हारै काम कोनी करैं। म्हारी कुंडळी में आ अनोखी बीमारी लिख्योड़ी है। जलमपत्री बणावणियां पंडित जी पैली ई बता दियो कै इयां भयंकर पेट दूखसी। उत्सुकतावश मोट्यार पूछ्यो तो कोई दवा-दारू कोनी बताई कै पंडित जी? बा आपरी योजना में सफळ होवती होळै सी बोली बताई तो ही पण अब रैवण द्यो। बो बोल्यो बता, बता-आपां बो इलाज करास्यां। बा बोली पंडित जी बतायो कै जद थारी सासू माथै रा बाळ कटा, काळो मूंढो कर अर गधै पर चढेड़ी थारै सामनैं सूं निकळै, तो थारो पेट दूखतो ढबै नीं तो मरणो ई पड़सी। बो झटाक ई समझग्यो कै बीमारी पेट-दरद री कोनी बीमारी तो बळतिया है। पण करै तो के करै लुगाई री दवा-दारू रो जिम्मो तो उणरो ई है।
छेवट बण आपरी लुगाई री बात मान ली अर तुरंत कैयो अबार जाऊं गाम सूं मां नैं जियां-तियां मना’र दिनूंगै बेगो ई पाछो आऊं। बहू मन ई मन राजी। मांय रा मांय लाडू फूटै। पण उणनैं ठा कोनी कै खाडा खोदणिया खुद ई पड़ज्याया करै। बो मोट्यार आपरै गाम नीं जाय’र सासरै पूगग्यो। बण आपरी मां री बजाय सासू मां नैं कैयो कै थारी बेटी रो भयंकर पेट दूखै अर पंडितजी बतायो है कै जे इणरी जलम री देवाळ मां काळो मूंढो कर’र, बाळ कटवा’र गधेड़ै चढ’र सामनैं सूं निकळै तो पेट दूखतो रुकै नीं तो मरणो ई पड़सी। मां ममता वश हां भरली। आपरी लाडली बेटी री ज्यान बचावण सारू बा त्यार हूगी। फटाफट सिर रा बाळ काट’र मोडी-मथरी कर दी। मूंढो काळो कर’र गधै पर चढाय रातोंरात रवाना हुग्या। दिनूंगै सूरज उग्यां पैली-पैली आ पूग्या।
घर रै बारणै सूं हेलो कर्यो। अे भागवान बारै आ। थारै पेट दूखतो ढबण री दवाई ले आयो। आज्या देखलै। बा झट बारै आई। आपरै मोट्यार नैं आवतो देख्यो अर सागै गधै पर मोडी हुयोड़ी काळो मूंडो करेड़ी लुगाई देख’र बा घणी राजी हुई। जियां ई गधै चढेड़ी लुगाई उणरै सामनै सूं नीसरी, बा घणी खुश हुई अर आपरी खुशी नैं रोक नीं सकी। बा आपरी जीत रो डंको घुरावती बोली – देख बनी रा चाळा/ गधै चढी मुंह काळा। बापड़ी बा मां तो इण बात नैं कोनी समझी पण उणरो मोट्यार तो जाणै ई हो बण तुरंत उत्तर दियो कै – देख मरद की फेरी/ अम्मा तेरी है क मेरी। सुणतां ई उणरा कान खुस’र हाथ में आयग्या। मां अर मोट्यार सूं मोकळी माफी मांगी पण आपरी घात आप पर ई भारी पड़गी। रात बीतगी पण बात रैयगी। बरसां बीत्यां पछै ई बात जींवती है। घणी हुंस्यारी खुद पर भारी पड़ै, इण बात री सीख देवण सारू आ कैबत काम में लीरीजै।
~~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’