अरे भइया ! आ तो गधा गाल़णी धरती है!

एकर एक थल़ी रो बासण घड़णियो कुंभार आपरै गधे माथै ढांचो मेलियो अर उणमें पारी, चाडा, तामणिया, कुल़डकी, चुकली, भुड़की आद घाल’र पोकरण कानी निकल़ियो।
पोकरण पूगो पण उण सोचियो कै गांमड़ां में मजूरी ठीक हुसी सो उवो पोकरण सूं दिखणादी-आथूणी कूंट में निकल़ियो।
थोड़ोक आगै निकल़ियो तो उणनै सुणिज्यो कै लारै सूं कोई मिनख हेलो कर रह्यो है। उवो हेलो सुण’र ठंभियो। हेलो करणियो मिनख नैड़ो आयो अर खराय’र साम्हैं जोवतै पूछियो-
“कयो(कौन) है रे!”
कुंभार कह्यो – “बा ! हूं तो थल़ी कानलो फलाणो कुंभार हूं।”
“हवै ! (हां)हवै ! भइया असंधो लागो जणां(जब) पूछियो। पण तूं इया(इधर) कांकर आयो? भलो मिनख दीहै(दिखता)!”
कुंभार कह्यो कै “इनै म्हैं म्हारा बासण बेचण आयो हूं अर आगे गांमां में जा रह्यो हूं।”
आ सुण’र उण आगुंतक कह्यो-
“ओ हो! तूं पांतराणो(भूल) कै तनै ठाह नीं है कै आ धरती तो गधा गाल़णी है भइया! गधो अठै पनपै नीं। गधै रै अर ई रजी रै लाग है जको कणै ई बैतो-बैतो गधो गल़ सकै! पछै तूं इया की (क्या) लेवण आयो ?”
कुंभार सोचियो कै अजै धरती माथै भला मिनख हैं। धरती परहित करणियां रो बीज गमायो नीं है। उणनै उवां बा में साक्षात देवदूत दीखियो अर उण मन ही मन में डरतै पूछियो कै – “बा हूं तो अठीनै भूल में आयो रो पण हमे म्हारो गधो नीं गल़ै, ऐड़ी कोई तजबीज बतावो।”
बा दयनीय सूरत बणावता बोलिया कै भइया थारा भाग तो भूतां भिल़िया पण हमै तनै बीहण(डरने) री जरूत नीं। एक सूं दो बता। तैं सुणियो ई है कै संग तो सेल़ै रै ई चोखो। पण भइया सचेत रहे(रहना) गाफल मत बणै। थारी शरम मालक राखसै(रखेंगे)।
“इया कये गांम जासी? हूं भेल़ो पो हालां!! तूं बैतियाण है, रड़ै रो मारग है, तूं कठै ई पांतराणो तो म्हनै दरगा(दरगाह) में ठौड़ नीं।”
कुंभार सोचियो कितरो भलो मिनख है! कितरी दया, कितरी हिमलास है। पछै बिचारो आपरो काम छोड’र म्हारै साथै हालै!साचाणी ई धरती माथै तो अजै राम रो वासो है!
कुंभार कह्यो – “हालो। किसै मारग हालां? आ सुण’र बा कह्यो – “इये कपरै(किनारे) वाल़ै मारग ले ले।”
खासी भां(दूर) गया। आगै जाडी (ज्यादा) जाल़ां। घणा कैर। एकै कड़खै मोटो तल़ाब। अचानक कुंभार कह्यो – “बा ! हूं थोड़ी दिशा(शौच) जाय आऊं आप ई गधियै नै पकड़’र राखजो।”
आ सुण’र बा कह्यो – “भइया मिनख ई मिनख रै आडो आवै। छेको(जल्दी) आए। जा पण ध्यान राखजै नैड़ो दिशा मत जाए अर बेगो आए। म्हैं तनै की कह्यो ? याद है! आ धरती गधा गाल़णी है।”
कुंभार गयो अर ज्यूं ई किणी जाल़ री ओट में बैठतो कै बा जोर सूं कैता अजां(अभी) दीसै। इयां करतां-करतां उणनै कोसएक तगड़ दियो।
लारै सूं गधै रा कान अर पूंछ कतर’र जाल़ां में गधै नै तगड़ दियो। पूंछ अर कान जमी में खसोल’र जोर जोर सूं किरल़ी करण लागा कै – “भइया छेको आ! छेको आ! थारो गधो गल़ै। किरल़ी सुणर कुंभार हांफतो पूगियो। कुंभार नै देखतां ई बा कह्यो कै-“हमै हांफियां कीं कारी नीं लागै। ऐ कान अर पूंछ दीसै! अबै इतरा बारै उबरिया है ! जको तूं पूंछ झाल अर हूं कान खांचां ! जे थारा भाग भेल़ा है जणै तो गधो बारै खींचलां ला नीतर भाऊ म्हैं तो जारोकोई(उस समय) कह दियो हो कै आ धरती गधा गाल़णी है!”
दोनूं ई कान अर पूंछ झाल’र ताकत लगाई कै कान अर पूंछ हाथ में आयग्या।
आ देखर बा कह्यो हवो(बस) भाऊ ! थारा करम पोचा। तूं केथ(कहां) गधा गाल़णी धरती में आयो? हमै इयां कर तूं पाछो थारै गाम जा परो अर भइया म्हनै एक काम याद आयो पो जको हूं हमै इया दूजैड़ै मारग जाऊंलो।
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”