गीता रौ राजस्थानी में भावानुवाद-इग्यारवौ अध्याय
इग्यारवौ अध्याय – विश्वरूपदर्शनयोगः ।।श्लोक।। मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मससञ्ज्ञितम्। यत्त्वयोक्तां वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।१।। ।।चौपाई।। औ छानै रौ ग्यान गुड़ायौ अर अध्यातम इम समझायौ। म्हारै पर कर कृपा सुणायौ हे माधव!अग्यान मिटायौ।।१।। ।।भावार्थ।। अर्जुन कैवै-हे माधव! म्हारै माथै मेहरबानी कर र जकौ घणौ छानै रौ आध्यात्मिक विषय माथै आप उपदेश दियौ उण सूं म्हारौ अग्यान मिटगौ है। ।।श्लोक।। भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया। त्वत्त: कमलपत्राक्ष माहात्म्य मति चाव्ययम्।।२।। ।।चौपाई।। जलम नाश जीवां ज सुणायौ हे नाथ!विस्तार यौ भायौ। अविनाशी महिमा यूँ भाई आप ग्यान बिरखा बरसाई।।२।। ।।भावार्थ।। अर्जुन कैवै-हे कमल नेत्र! म्हैं आपरै श्रीमुख सूं जीवां री उत्पत्ति अर प्रलय […]
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