कहां वे लोग, कहां वे बातें ?

।।18।।
गुण नै झुरूं गंवार!
महात्मा ईशरदासजी बारठ ने कितना सटीक दोहा कहा था कि-
नेह सगा सोई सगा, तन सगा ना होय।
नेह विहूणी ईसरा, करै न सगाई कोय।।
अर्थात स्नेह ही सगे होने का आधार है। इसके उदाहरण प्रहलाद-हिरणाकश्यप-होलिका, व कंस-उग्रसेन आदि को हम देख सकते हैं, जिन्होंने सगे होते हुए भी अपनों के साथ क्या व्यवहार किया था[…]
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