शिव-चालीसा

चौपाई
जय! शिव शंकर! जयति! महेशा!
आशुतोष! मृड! अनघ! उमेशा!१!
अंग-गौर-कर्पूर-सुपावन!
रूप कोटि कंदर्प लजावन!!२
भस्म-अंग-धुरजट-बिच-गंगा!
नीलकंठ! गौरी-अरधंगा!!३
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चौपाई
जय! शिव शंकर! जयति! महेशा!
आशुतोष! मृड! अनघ! उमेशा!१!
अंग-गौर-कर्पूर-सुपावन!
रूप कोटि कंदर्प लजावन!!२
भस्म-अंग-धुरजट-बिच-गंगा!
नीलकंठ! गौरी-अरधंगा!!३
श्री गणपति चालीसा दोहा एक रदन!करिवर वदन, सदन ज्ञान! शशि-भाल! विघ्न हरन मंगल करन, शिव गिरिजा के लाल!! १ महागणपतिम् विमल अति, यति मति गति दातार! तव पद रति रिधि सिधि पतिम्, जयति जयति सुखसार!! २ चौपाई श्रीगणेश जय!जय गणदेवा! मात भवानी पितु महादेवा!१ गणाध्यक्ष गजमुख शिवपायक! द्वैमातुर ! सुर संत सहायक!२ लंबोदर!हेरंब! विघ्नहर! शूर्पकर्ण! इक-दंत! मनोहर!३ पृथुलकाय!मोदक-आहारी! गिरितनया शिव गोद विहारी!!४ धूम्र वर्ण !मुदमंगलकारी!! पिंगल-नयन!प्रणत भय हारी!५ मूषकवाहन!षण्मुख भ्राता! श्रुति लेखक!वांछित-फलदाता!६ धन वैभव दीर्घायुष दाई! सुमति सौख्य सौभाग्य प्रदाई!!७ वक्रतुंड!गजशुंड! दयाला! लंबकर्ण! भक्तन प्रतिपाला!८ स्वस्तिक-चरण! हरण भय भारी! अशरण शरण! सुवन त्रिपुरारी !!९ बुद्धि विवेक ज्ञान शुभ दायक! गुणपति! […]
» Read moreचौपाई
जय भैरव! काशीपुर स्वामी!
करतल-सुलभ-सिद्धि! बहुनामी!१
त्रिभुवन-निलय !श्वान-असवारा!!
कलि-मल-संहारक! फणि-हारा!२
कापालिक! दिगवसन! अघोरा!
श्यामल गौर स्वरूप किशोरा!!३
दोहा
पुर-काशी-वासी! बटुक!, अविनाशी! चख-लाल!
खर्पराशि! सुखराशि! विभु, नाशी भय भ्रम-जाल!!१
भैरव! भयहर! भूतपति!, रुद्र! वेश-विकराल!!
दास जानि करियो दया, व्योमकेश! दिगपाल!!२
भैरव-आरती
आरती! मधुर उचारती, भारती! भैरवनाथ तिहारी!
दुर्धर-रव! खप्पर कर! अभीरव! जय शमशान विहारी!!१[…]
मत्तगयंद सवैया
लाल हि चूनर, कोर ‘रु लाल हि लाल हि कंचुकि लाल हि डोरी!
सिंदुर लाल सुबिंदी कपाल , ‘रु लाल हि भाल सुकुंकुम रोरी!
लालमलाल उछाल कियौ नभ भोर रु सांझ समे रंग ढोरी!
थाल अबीर गुलाल लिए कर,श्री हिंगलाज मनावत होरी! १
…
» Read more।।दोहा।।
दुर्गे! दुर्गतिनाशिनी, वासिनी गिरिकैलास!
मंदहास! मृदुभाषिणी!, माॅं! काटौ यमपाश!
।।चौपाई।।
जयति! जयति! जगदंब भवानी!
शिवा! सांभवी! भवा! मृडानी!! १[…]
आरतजन अवलंबन अंबा! भुजलंबा! भयहारी! मां!
जय जगदंबा! कृपा कदंबा! सदासुमंगलकारी! मां! १
करूं आरती थांरी मां! (२)
आर्त दु:खी जनों की अवलंबन (सहारा) हे अंबा! भुजलंबा! भय को हरने वाली मां! आप ही कृपा का कदंब वृक्ष हो! आप सदैव सुमंगल करने वाली हो! हे मां मै आपकी आरती करता हूंँ!१![…]
।।होरी पद-१।।
होली! खेलत श्री यदुबीर।
छिड़कत लाल गुलाल बाल पर, अनहद उड़त अबीर।।१
बरसाने की सब ब्रजबाला, आई होय अधीर।
भर भर डारी अंग पिचकारी, भीगै अंगिया चीर।।२[…]
!!छंद-नाराच (पंच चामर)!!
प्रणम्य !श्री गुरूं !पदाम्बुजं सुचित्त लाइके!
उमा-महेश पुत्र श्री गणेश को मनाइके!
स्मरामि धात्रि काव्य दात्रि श्वेतवस्त्र धारणी!
श्री मोगलं शिरोमणी! सुचिंतयामि चारणी!! १[…]
!!छंद – मत्तगयंद!!
मंजुल श्यामल गात मनोहर नाथ दयानिधि देव मुरारी !
है लकुटी कर ;पीत धरे पट कामरि ओपत सुंदर कारी!
गुंजन माल गले बिच सोहत मोर पखा युत पाग सु धारी!
केशव नंद किशोर! बसो नित मो चित श्री हरि रासबिहारी!! १]…]