बाप अर बोल!!


कांई तेजो जाट इणी धरा रो सपूत हो?
सुणण में तो आ ई आवै
पण मनण में नीं आवै।
आवै ई कीकर
वो मिनख हो
कै बजराग!
जिको मोत सूं मिलण
चार पाऊंडा
साम्हो गयो।
एक’र तो उणरी
अणियाल़ी मूंछां
तणियोड़ा भंवारा
अर मूंढै माथै
दीपतो नूर देख’र
मोत रा ई खांचा ढीला पड़ग्या।
वा विहसती बोली
कांई तूं साचाणी
म्हारै सूं ई
आंख मिलावण आयो है ?
कै रणांगण में रड़वड़तै रो भमग्यो है माथो!
थारै इष्ट री आण
है
कै तूं
सत री पत रुखाल़ण
आयो है लीलण री पीठ !
कै म्है तनै दीठ नीं आई।
अल़वल़िया असवार
म्हारै मनण में नीं आवै
कै इयां ई कोई आवतो
हुसी
मोत रै गोडै रै हेठै?
मोत सूं मसलीजण!
जा तनै दीनी है छूट
थारै जीबाछल़ री।
बैयग्यो हुवैला गचल़को
मोटयार गाल़ै रै जोम में
कै म्है आवूंलो
गूजरणी री वाहर कर
पाछो थारै सूं मिलण नै।
थारी बांकड़ली मूंछा
मदभरिया नैण
निष्पापा वैण सुण
म्हारो काल़जो नीं
देवै गवाह कै
म्है ले लूं तनै
म्हारी झपेट में।
जा! थारा सातु गुनाह बगसिया।
माण मौज थारी सायधण री मीठी मनवारां साथै।
आ सुण
मोत रै कानी खराय
तणतै भंवारां साथै
अजेज बोलियो
वो मरद कै
गैलसफी
म्हनै जितरो दरद
करद रै घावां सूं नीं हुयो
उणसूं चौगुणो
थारै इण लिपल़ै वैणां सूं पूगियो है।
कांई तै नीं सुणी
कै मिनख रै तो
बोल अर बाप
एक ई हुवै।
पछै म्है बेवड़ो
कीकर हुवतो ?
अर हुयर करतो
कांई?
आज नीं तो
सवारै,परमै
छानै कै चवड़ै
तूं कठै नै कठै ई
तो गाबड़ पकड़ ई लेती!
नीं छोडती तो
भवै न भवंतरै
तो पछै
म्है क्यूं देतो
थारै भोताड़ सूं
बांठकां पग।
ले आयग्यो हूं
थारै सूं
आंख में आंख घाल मनरल़ी करण नै
ले चाल
थारै सूं
गल़बांहां घात
बात अमर राखण नै
हालूं ठेठ थारै ई घर।
ऐ अडग वैण सुण
एक’र तो मोत ई ठिठकगी।
कै ऐड़ो मिनख
तो नचीकेता सूं सिरै
जुगां बीतियां देखियो है।
जिको फखत
आपरै दियै
वचनां रै बंधणां सूं बंधियो आयो है
आ आखड़ी
अमर राखण नै कै
मिनख रै तो बाप अर बोल एक ई हुवै।

~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.