बदळण रो हेलो कर बेली

तन भूखो अर मन उदियासू,
जीवण धारा डंक डसेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।
जनशोषक सत्ता गळियारा,
जनगण मंगळ यूं गावै है।
शेषनाग री बांबी जाणै,
इमरत रो घट ढुळकावै है।
जनपथ सूळ, धूळ जन आंख्यां,
सपनां में जहरल गुळ भेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।01।।
नीत विहूणै न्याय चौहटै,
हाथ जोड़ कोई गिरणावै।
मानो जाय कसाईघर में,
मात खाजरू खैर मनावै।
धन नै न्याय, जेळ निरदोसां,
फरियादां री झटकी थेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।02।।
भोळी ढाळी इण जनता सूं,
कूड़ा सुख वादा जो करज्या।
लागै बांझ आंगणै मांही,
ज्यूं रमेकड़ो कोई धरज्या।
तृसणा नै थळ, आसा नै छळ
भैंस भरोसै री भटकेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।03।।
समझौतां री लांबी डांजी,
पौर घड़ी छिन छिन यूं जागै।
जाणै सावण रैण अंधारी,
जुगनू सूं जुगनू तक भागै।
कालै घाव, आज है टीसां,
भावी तो सदियां दाझेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।04।।
तेज विहूणी हर वेळा में,
कविता ही विप्लव गावै है।
पतझड़ रै माथै पर पग धर,
आली रुत बसंत आवै है।
जीभां मून मरण सबदां नै,
जाप श्राप सब चापळ झेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।05।।
~~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”