बंदूकों से बात करो

मन की बातें बहुत हो गई, बंदूकों से बात करो।
टैंकों को बढ़ने दो आगे, आगे बढ़ आघात करो।
फोजों को मन की करने दो, होना है सो होने दो।
चीन भले करता हो चीं चीं, रोता है तो रोने दो।
राजनीति की रँगे खिलाड़ी, अब तो रँग दिखाओ तुम।
पल पल धोखा दिया उसे कुछ, अब तो सबक सिखाओ तुम।
कूटनीति के कौशल सारे, दिखलाने की बारी है।
विश्व पटल पे भारत की, कहदो कैसी तैयारी है।
यू एन ओ में बात रखो तो, आर पार की बात रखो।
आतंकी हमलों के सारे तथ्य सहित जज्बात रखो।
दुनिया के देशों को कहदो, पानी सर पे आया है।
हिंदुस्तानी रक्त उबलकर, अब बिल्कुल बौराया है।
अब इस धारा को रोको मत, ठनी उन्हीं से ठानेगी।
रावलपिंडी रक्तिम होगी, उस दिन दुनिया मानेगी।
कूटनीति के हथियारों को, अजमाना है आजमाओ।
पहले सीमा पर नेताजी, सेना को तो भिजवाओ।
जो खोया सो हमने खोया, उसने कहर ढहाया है।
विश्वपटल पर फिर भी उसको, हमने मित्र बताया है।
आगे बढ़ बढ़ करके जब तक, हाथ मिलाना चाहोगे।
गद्दारो से तब तब तुम फिर, कुछ सैनिक मरवाओगे।
एक बार सेना से कहदो, जाओ खेल दिखाओ तुम।
दुश्मन के सीने पे सीधा, ध्वज अपना फहराओ तुम।
भारत माँ को बहुत गर्व है, अपने लाल दुलारों पे।
यकीं करो तुम फिरसे देखो, इंकलाब के नारों पे।
आर पार के युद्ध बिना अब, बात नहीं बनने वाली।
दिनकर से पूछेगी दुनिया, रात नहीं सहने वाली।
सीने का साहस दिखला कर, स्वाभिमान का मान करो।
तुमसे गर ये नहीं हुआ तो, कौन करे ऐलान करो।
ज़िंदा शेरों की खाल खींचना, सह्य नहीं है नेताजी।
गीदड़ भभकी से सिंह डरे, ये ग्राह्य नहीं है नेताजी।
विश्व भले माने ना माने, भारत ने ये माना है।
आतंकवाद का पाक जहां में, सबसे बड़ा ठिकाना है।
इसी बात को लेकर कहदो, जाओ शेरों तुम जाओ।
अट्ठारह मारे है उसने, तुम लाखों को निपटाओ।
एक एक को उसी तरह की मौत मराओ नेताजी।
आतंकी अड्डों को रातोंरात जलाओ नेताजी।
मर जाएं तो रंज नहीं है, कायर मत कहला देना।
नापाक पाक को नेताजी बस सबक पुरा सिखला देना।
~~डॉ गजदान चारण “शक्तिसुत”