बापू रा तीन बांदर

गीत -सोहणो
बापू देख बीगड़्या बांदर
सो बदल़ै नित भेख सही।
लिखिया लेख तिहाल़ा लोपै
नटखट राखै टेक नहीं।।१
ईखै बुरी रोज ही आखां
काज बुरां री खोज करै।
माणै मोज तिहाल़ा मरकट
डोकर तोसूं नोज डरै।।२
बिनां सोच बोली रा बाड़ा
बाग बिगाड़ा देख वल़ै।
नामी दिल्ली जाय नचाड़ा
करै कबाड़ा रचै कल़ै।।३
कोजी सुणै करै नित कोजी
रोजी बकणै तणी रखै।
सोजी चटपट लाय समाचा
तोजी दिल्ली मांय तकै।।४
आठूं जाम करै उतपातां
दाम दिसा चित मांड दियो।
मानै नाय राम री महमा
काम राम रो केम कियो।।५
छल़-बल़ तणी आदत नह छूटै
उठै हरी सूं हेत इतो।
लूंटी लंक जेम हिंद लूटै
कूटै भारत करम कितो।।६
आवै उछब वोटां रो इल़ पर
नाचै खोटां नड़ी -नड़ी।
चोटां करै कुचालां चालै
लाटै पोटां माल लड़ी।।७
दाय आवै ज्यूं ही कर दैणा
जाणै संक न हाय जरा।
न्याय मिन्यां रै देख निवैड़ै
खाय मिटावै रोट खरा।।८
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी