बीरम गायन
चारणों के वैवाहिक अथवा अन्य सामाजिक उत्सवों में यदि बीरम न हो तो कार्यक्रम की आभा अधूरी रह जाती है। विवाह आदि कार्यक्रमों के दौरान होने वाली हर छोटी बड़ी रस्मो पर उसी के अनुरूप गायन करके बीरम उस रस्म के आनंद को कई गुना कर देते हैं। समय के साथ यह कला भी धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। इस पेज पर बीरमो द्वारा गाये गए गीतों, चिरजाओं इत्यादी को संकलित किया जा रहा है। जिस किसी के पास रिकॉर्डिंग हो, कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा भेजें। निम्न लिस्ट में संकलित गायन को सुनने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें:
बीरम द्वारा विवाह उपरांत विदाई में गाई गयी कानदान जी की कालजयी रचना 'सीखडली'
पारंपरिक राजस्थानी नृत्य - मिरगा नैणी नाचे - गायन: गोपाल जी बीरम (सरसिया)
बीरम गायन: चावण्ड माँ री चिरजा
बीरम गायन: सियावर थाँसू डोरडा नाहीं खुले
बीरम गायन: पूजण दो गणगौर
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चारण डोट ओआरजी निश्चित रूप से एक सार्थक प्रयास हैं । इसे और अधिक भव्य रूप और अलंकृत करने की भी आवश्यकता हैं । डिगल परम्परा में डा शक्ति दान कविया और श्री डूंगरदान आशिया बलाऊ और डा गजादान सा जैसे दिग्गज के काव्य को स्थान मिलना चाहिए ।
शुभकामनाओं सहित ।
जगदीश दान कविया, राजाबन्ध, बिराई (हाल जोधपुर )
शिक्षक
धन्यवाद हुकम,
हम लोग बूँद बूँद से घडा भरने की कोशिश कर रहे हैं सा| छोटी सी टीम है और पूर्ण रूपेण तकनिकी टीम है| साहित्य के बारे में जानकारियां समाज से ही प्राप्त होती है और हम उसे सुनियोजित करके साईट पर अपलोड मात्र कर देते हैं| हमें डिजिटल फॉर्म में टाइप किया हुआ मटेरियल चाहिए| डा.शक्तिदान कविया और श्री डूंगरदान जी का साहित्य यदि डिजिटल फॉर्म में आप कहीं से अरेंज करके admin@charans.org पर ईमेल करवा दें तो कृपा होगी|डा.गजादान सा का कुछ साहित्य हमें नरपत दान जी से प्राप्त हुआ है जिस पर काम चल रहा है तथा अगले हफ्ते तक उनका पेज तैयार हो जाएगा|
आप जैसे गुणी पाठक ही हमें रास्ता दिखा सकते हैं| अपना आशीर्वाद व मार्गदर्शन इसी प्रकार देते रहें तथा इस साईट का रेफ़रेन्स अपने नेटवर्क में भी जरूर करें| जय श्री|
~~टीम चारण डॉट ओआरजी