भैरव वंदना – कवि डूंगरदान जी आशिया बाल़ाऊ

।।दोहा।।
प्रात रात पूजा करै, हर पल जोड़ै.हाथ।
साथ रहै वां रै सदा, नाकोड़ा रौ नाथ।।१
काचै मन काम न सरै, साचै मन रै साथ।
वाचै कविता विनय जुत, नाचै भैरव नाथ।।२
।।छंद – रेंणकी।।
ढम ढम बजि ढोल घूघरों घम घम रम रम खेतल रास रमें।
धम धम पग धरत धरत्रि धूजत, सुर देखत नृत तेण समें।
बम बम बम बोल बोलिया बावन, रम झम रम झम रमतोड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।१
घण्टा घणणाट घुरै नौबत घण, हव झालर झणणाट हुवै।
बाजै बणणाट बांसुरी वीणा, धप मादल़ घणणाट धुबै।
जय जय जैकार करै भाविक जण, ठाट जबर उण ही ठौड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।२
भाखर अति उच्छ सिखर तर सोभत, वनचर नभचर तेथ वसै।
निरझर जल़ ढरत करत कलरव नद, हरख हरख नर देव हसै।
मन्दर हद सुंदर बणीयौ मेवै, थान इसा जग में थोड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।३
देवालय नींव सींव काकोदर, अम्बर सूं ध्वज जाय अड़ै।
पसरत ही वाव फरर हर फरकत,पांच कोस सूं नजर पड़ै।
अविरल दिन रात जातरू आवै,मन साचै वेगा मौड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।४
कर कर परिक्रमण नमण कर कर नर, पत राखण नत पांव पड़ै।
मेवा मिष्ठान घिरत जुत घेवर,चिटक दाख वादाम चड़ै।
संपत सुत स्नेह मांग नव दंपती,जातां देवे सैजोड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।५
सुमरत सह जगत सगत रौ सायक, है खल़ खायक दुख हरै।
भेल़ौ हर वगत भगत रौ भीड़ू, कव डूंगर पर मेहर करै।
घुंघराल़ौ खुशी हुवै जद घूमै, घर आगल़ हाथी घोड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।६
।।छप्पय।।
नमो भैरवानाथ, करै सुख गोरा काल़ा।
हर दम सिर धर हाथ,लाज राखे लटियाल़ा।
सेवग रै रह साथ, विकट वेल़ा विरदाल़ा।
तूं ही मात अर तात, भ्रात तूं ही भूपाल़ा।।
मति मंद उकत माफक मुण्या, जकै रैणकी जात रा।
कर जोड़ छंद डूंगर कहे, नाकोड़ा रै नाथ रा।।
~~©कवि डूंगरदान जी आशिया बाल़ाऊ