भूल न करणी भूल

बोयां कांटा बापजी, फळै न लागै फूल
जगबरती नैं जाणतां, भूल न करणी भूल
भूल न करणी भूल, इयां मत काढ़ो आंटा
बणी बणाई बात, बिगड़सी बोयां कांटा।
आज अणूती है अठै, मारामारी मीत
जाण सकै तो जाणलै, रुळपट जग री रीत
रुळपट जग री रीत, जठै तिकड़म री तूती
साच फंसी साख्यात, आंच में आज अणूती
स्वारथ री संसार में, आंधी चलै अड़ूड़
राळै सीस सुरीत रै, धोबां धोबां धूड़
धोबां धोबां धूड़, थरकावै व्यवहार में
है मांदी मरजाद, स्वारथियै संसार में।
सीधो चाल्यां संप है, टेढै में तकरार
बेड़ो बोल्यां कद हुवै, जग में बेड़ो पार
जग में बेड़ो पार, हुवै रळमिळ कर हाल्यां
घातां बिगड़ै घाण, सुधरसी सीधो चाल्यां।
जीवण मांही जिद्द सूं, सिद्ध न होवै काज
टूटै नाता नेह रा, अणगिण होय अकाज
अणगिण होय अकाज, निलज सब लाज नसाहीं
जीव थकां मर जाय, जिद्द कर जीवण मांही
~~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’