बोलो साच सुहाती बात

बोलो सत धार मधुर पण बोलो,
बोलो साच सुहाती बात।
व्हालां इसी कायनूं बोलो,
सुणियां सैणां नको सुहात।।
बिगड़ै संबंध बोल बाड़ां सूं,
गुण हद बिगड़ै कियां गुमेज।
तंतू नेह तणो जद तूटै,
हिरदै मिटै उफणतो हेज।।
मूंछां ताण बोलवै मोटा
छतो देय मीतां नै छेह।
जोड़ण तणो डाव नह जुगती,
निपट मिटावै जुड़ियो नेह।।
कारण बिनां सैण कर कानै,
चित हित तणो मिटावै चाव।
धीरज छोड अहम नैं धारै
भटकै त्याग भलोड़ा भाव।।
तण हद बोल ताकड़ी तोलो,
पछै खोलजो हिरदै पाट।
चेन धार नै रहसो चौड़ै,
उपजै नाही कदै उचाट।।
बाड़ा बोल बोलसो वीरा!
बिन ई लाभ वसासो वैर।
है घर हांण जगत में हासो
खरी नाय करसी को खैर।।
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी