चाय – ग़ज़ल

🌺चाय🌺
🌻ग़ज़ल🌻
मीठी मिसरी वाली चाय!
या हो बिलकुल काली चाय!
दूध मिलाकर पीते जब भी,
लगती तभी निराली चाय!
लेमन वाली, अदरक वाली,
मन को दे खुशहाली चाय!
हरा पुदीना इसमें डाला,
नहीं फकत यह खाली चाय!
लोंग इलाची दाल चिनी से,
बनी मसालावाली चाय!
सुबह सुबह करती तन ताजा,
तेरे हाथ की प्याली चाय!
और नहीं कुछ मुझें चाहिए,
यार पिलादे खाली चाय!
इसकी लत लागी छूटे ना,
हाय ये जालिम साली चाय!
नरपत खुश्बूदार कड़क पी,
मुख पर लाने लाली चाय!
©नरपत वैतालिक