चंदू मा रा छंद – धूड़जी मोतीसर जुढिया

।।दूहा।।
सिमरूं माता सारदा, आपो मोह उकत्त।
मोजां पाऊं माड़वै, गाऊं चँदू सगत्त।।1
जगतंबा लीधो जलम, आप उदै घर आय।
पूजांणी चंदू प्रगट, जस जुग च्यार न जाय।।2
समत अठारै गुणियासियै, हूतासन तन होम।
चावी तैं कीनी चँदू, कुल़ में अपणी कोम।।3
सांप्रत पीवर सासरै, आंणै मोद अपार।
वारण चंदू थूं वल़ी, धू धारण मनधार।।4

।।छंद – सारसी।।
मनधार मत्ती सज सगत्ती, आप रत्थी आविया।
पोक्रण पत्ती बड कुमत्ती, छोह छत्ती छाविया।
तन झाल़ तत्ती सूर सत्ती, रूक हत्थी राड़वै।
बढ चरण वंदू शील संधू, मात चंदू माड़वै।।1

साह मान संका बाज डंका, होय हंका हेदनी।
इल़ मेर अंका लाग लंका, मार मंका मेदनी।
आलम असंका रीझ रंका, धाड़ धंका धाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।2

सुर कान सुणियो जमर चुणियो, अगन धुणियो आरणै।
जमदाढ जुणियो कंठ हणियो, करण अणियो कारणै।
मुख बोल मुणियो पाठ पुणियो, चूक वणियो चाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।3

भतीज मेहरो गुमर गहरो, करण चेहरो कोपियो।
अजरँग ऐहरो जबर जहरो, साज डेरो सोंपियो।
केसरी केरो डंड देरो, जादुवेरो जाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।4

भतीज भूवा अमर हूवा, देस दूहां दाखियो।
प्रमांण पूवा सरस सूवा, राज रूवा राखियो।
कायम कबूवा गीत दूहा, झंप झूवा जाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।5

कल़ि भय करारै अगन वारै, काज सारै कोमियां।
वड सेठ वारै वसै द्वारै, नेक धारै नेमिया।
नरवँद उबारै तणी तारै, नायकारै नाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।6

सँढायच सारा भजन भारा, गुण अपारा गावियै।
वीठू सवारा ध्यान धारा, थेहड़ थारा थावियै।
वड दिवस वारा देव द्वारा, घाट वारा घाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।7

मोची चमारा द्विज द्वारा, जोगवारा जिंदवै।
दरजी सुथारा ख्वास सारा, वर्ण च्यारा विंदवै।
परचा अपारा मात थारा, वसेगारा वाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।8

हुय भ्रात हेल़ा मंडै मेल़ा, राज रेल़ा रोकिया।
सालम सवेल़ा बिखम वेल़ा, सार एल़ा सोखिया।
कव करै केल़ा साद सेल़ा, परम टेल़ा पाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।9

वर्ण खट बखांणी अंजस आंणी, दरस भांणी दाखियै।
ठावै ठिकांणै राज रांणै, पूज टांणै पोखियै।
है हिंदवांणै जवन जांणै, खूब खांणै खाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।10

पूजन करावै लोक आवै, आस थावै आसणी।
जंगी बजावै गीत गावै, सोभ सावै सासणी।
रातां जगावै धूंप धावै, उरस आवै आड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।11

आपरो आई है सहाई, सुक्खदाई साखती।
व्यापै न काई दुक्खदाई, प्रभ छाई पाखती
बिल्कुल बधाई वँस थाई, भल भलाई भाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।12

देसां विदेसां नित नेसां, आद ऐसां ओवड़ी।
वासुर वेसां रात रेसां, लार लेसां लोवड़ी।
सुख में हमेसां पीड़ पेसां, दास रेसां दाड़वै।।
बढ चरण वंदूं सील सिंधू, मात चंदू माड़वै।।13

।।छप्पय।।
मही पिछम महमाय, दिपै च़ंदू ऊदाई।
संढायच वास समाज, रस जस बात रसाई।
मंझ पीहर माड़वै, दिपै सासरो दासोड़ी।
रतनू अंजसै रांण, अवर अंजसै चहुंवड़ी।
सतियां सरूप साखां सिरै, दाखां देवल दूसरी।
परमांण उकत रूड़ै परब, कव धूड़ै साखा करी।।

~~धूड़जी मोतीसर जुढिया
~~गिरधरदान रतनू रै निजी संग्रै सूं

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.