छानै-छानै पकड़ ले गाबड़

आज तक नीं दीठो
किणी थारो रूप रंग
बैवण रो ढंगढाल़ो
कै उणियारो
कैड़ो है!
मनभावणो!
कै अल़खावणो!
विडरूप डरियावणो कै
सुहावणो है!
दांत दाड़म सा है
कै जरख रै उनमान
पग उल़टा कै सूंवा पड़ै!
नीं होवो निरणै!
पण जठै-जठै पड़ै !
कै पड़िया है थारा पग!
उठै-उठै दीसै घबूर
कदै ई नीं भरीजण वाल़ा!!
ठाली-भूली ठिठकारणी
जिण-जिण जागा ई किया है!
तैं फगत जुरड़ा ई किया है!
किणी रै बूकियां रो गाढ
छाती रो जोर
मगज में भरी मेधा
नीं आई आडी
चाढी जद तैं भ्रकूटी
अर दीनी एक टकर
अर उण टकर सूं
सगल़ी राथापोथी
किरी-किरी होय बिखरगी!
नीं सुणी कोई ऐड़ी गल्ल
कै कोई धरती नै तोलणियो
आभ नै बाथां में भरणियो
समंद नै सरड़कै में चूसणियो
आज तक ऊभो है
थारी आंख्यां रै आगै
अड़ीखंभ थारै साम्हो
भंवारा ताणियां!
अर तूं उण भंवारां रै भोताड़ सूं
मनाय गी होवै सोकड़!
म्है नीं सुणी ऐड़ी कोई गल्ल!!
कै तैं किणी माथै खायो होवै रहम
किणी रै आपाण रै बहम सूं डर!!
तूं छोडगी होवै
किणी जती कै सती नै?
रिसी कै मुनी !
कै किणी इष्टधारी नै माल़ा फेरतां
किणी री धजा रै तल़ै
बगसगी होवै माफी!
म्है नीं सुणी!
तूं जद ई आई
पटकी पटकण नैं आई है
थारै आयां पछै
म्है दीठा है
हाथ पाधरा तिरसिंगां रै तिरसिंगां रा
सुणिया है फगत आ कैतां
कै खूटी नै बूटी कठै?
कांई करेला देव?
पितर कै भोमिया
भगवत कै भगवती!
इण ठालीभूली
किणी नै ई नीं बगसिया!!~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”