चरागों का जब बोलबाला रहेगा

🌺गज़ल🌺
चरागों का जब बोलबाला रहेगा।
सियह रात में भी उजाला रहेगा।।१
भरा हो,छलकता,अधूरा कि खाली,
नजर में सभी की वो प्याला रहेगा।२
भले आप धोलें उसे चांदनी में,
अँधेरा है काला तो काला रहेगा।।३
गरीबो तवंगर कि शाहो कलंदर,
निवाला सभी को निवाला रहेगा।।४
कि आवाज मेरी नहीं दबने वाली,
जबाँ पे हमारी न ताला रहेगा!
सुकूँ मिल गया है जिसे इस जहाँ में,
वही सब फकीरों में आला रहेगा!
कि नरपत लगे है मुझे पर गज़ल के,
न अब मन का पंछी मलाला रहेगा।।५
~~©वैतालिक