चारण साहित्य का इतिहास – डॉ. मोहन लाल जिज्ञासु August 11, 2018 डॉ. मोहन लाल जिज्ञासु भाग १ – अनुक्रमणिका (शीर्षक पर क्लिक करें) पहला अध्याय – विषय प्रवेश (१) राजस्थान की महत्ता (२) राजस्थानी भाषा का अध्ययन (क) ‘डिंगल’ शब्द की व्युत्पत्ति (ख) नामकरण-मरुभाषा, डिंगल एवं राजस्थानी (ग) राजस्थानी भाषा की उत्पत्ति (घ) प्राचीन, मध्यकालीन एवं अर्वाचीन राजस्थानी (३) राजस्थानी का चारणेतर साहित्य (क) राजपूत राजघराने का साहित्य (ख) जैन साहित्य (ग) ब्राह्मण साहित्य (घ) भाट साहित्य (ङ) अन्य जातीय साहित्य (च) संत साहित्य (छ) लोक साहित्य (४) चारण जाति का विशेष अध्ययन (क) ‘चारण’ शब्द की व्युत्पत्ति (ख) चारण जाति का उद्भव (ग) चारण जाति का मूल पुरुष (घ) समीक्षा (ङ) निष्कर्ष (च) चारण जाति का विस्तार (छ) चारण जाति का धर्म (ज) चारण एवं राजपूत जातियों का पारस्परिक सम्बन्ध (झ) पाश्चात्य चारण (५) राजस्थानी भाषा एव साहित्य पर किया शोधकार्य (क) चारण साहित्य विषयक उपलब्ध सामग्री (ख) चारण साहित्य की महत्ता (ग) चारण साहित्य का काल-विभाजन दूसरा अध्याय – चारण साहित्य की पृष्ठभूमि (सन ६५०-११५० ई.) (१) संस्कृत कवि एवं उनकी कृतियां (२) प्राकृत कवि एवं उनकी कृतियां (३) अपभ्रंश कवि एवं उनकी कृतियां (४) राजस्थानी कवि एवं उनकी कृतियों का आलोचनात्मक अध्ययन तीसरा अध्याय – प्राचीन काल (सन ११५०-१५०० ई.) (१) काल-विभावन (२) राजनैतिक अवस्था (क) राजस्थान एवं केन्द्रीय सत्ता (ख) प्रांतीय शासक एवं शासन व्यवस्था (३) सामाजिक अवस्था (४) धार्मिक अवस्था (५) चारण साहित्य (६) कवि एवं उनकी कृतियों का आलोचनात्मक अध्ययन (क) जीवनी-खण्ड (ख) आलोचना खण्ड – पद्य साहित्य १. प्रशंसात्मक काव्य २. निन्दात्मक काव्य ३. वीर काव्य ४. भक्ति काव्य ५. श्रृङ्गारिक काव्य ६. ऐतिहासिक काव्य ७. भाषा, छंद एवं अलंकार (ग) गद्य साहित्य चौथा अध्याय – मध्यकाल, प्रथम उत्थान (१५००- १६५० ई.) (१) काल-विभाजन (२) राजनैतिक अवस्था (क) राजस्थान एवं केन्द्रीय सत्ता (ख) प्रांतीय शासक एव शासन-व्यवस्था (३) सामाजिक अवस्था (४) धार्मिक अवस्था (५) चारण साहित्य (६) कवि एवं उनकी कृतियों का आलोचनात्मक अध्ययन (क) जीवनी-खण्ड (ख) आलोचना खण्ड – पद्य साहित्य १. प्रशंसात्मक काव्य २. निन्दात्मक काव्य ३. वीर काव्य ४. भक्ति काव्य ५. शृंगारिक काव्य ६. राष्ट्रीय काव्य ७. शोक काव्य (मरसिया) ८. सती माहात्म्य ९. प्रकृति-प्रेम १०. ऐतिहासिक काव्य ११. भाषा, छन्द एवं अलंकार पांचवाँ अध्याय – मध्यकाल, द्वितीय उत्थान (सन १६५०-१८०० ई.) (१) काल-विभाजन (२) राजनैतिक अवस्था (क) राजस्थान एवं केन्द्रीय सत्ता (ख) प्रान्तीय शासक एवं शासन-व्यवस्था (३) सामाजिक अवस्था (४) धार्मिक अवस्था (५) चारण साहित्य (६) कवि एवं उनकी कृतियों का आलोचनात्मक अध्ययन (क) जीवनी-खण्ड (ख) आलोचना खण्ड – पद्य साहित्य १. प्रशंसात्मक काव्य २, निन्दात्मक काव्य ३. वीर काव्य ४. भक्ति काव्य ५. शृङ्गारिक काव्य ६. रीति काव्य ७. शोक काव्य (मरसिया) ८. सती माहात्म्य ९. प्रकृति प्रेम १०. ऐतिहासिक काव्य ११. भाषा, छन्द एवं अलंकार (ग) गद्य साहित्य भाग २ – अनुक्रमणिका (शीर्षक पर क्लिक करें) छठा अध्याय – आधुनिक काल, प्रथम उत्थान (सन् १८००-१८५० ई०) (१) काल-विभाजन (२) राजनैतिक अवस्था (क) राजस्थान एवं केन्द्रीय सत्ता (ख) प्रान्तीय शासक एवं शासन-व्यवस्था (३) सामाजिक अवस्था (४) धार्मिक अवस्था (५) चारण साहित्य (६) कवि एवं उनकी कृतियों का आलोचनात्मक अध्ययन (क) जीवनी-खण्ड (ख) आलोचना खण्ड – पद्य साहित्य १. प्रशंसात्मक काव्य (सर) २. निन्दात्मक काव्य (बिसहर) ३. वीर काव्य ४. भक्ति काव्य ५. श्रृंगारिक काव्य ६. राष्ट्रीय काव्य ७. रीति काव्य ८. शोक-काव्य (मरसिया) ९. सती-माहात्म्य १०. प्रकृति-प्रेम ११. ऐतिहासिक काव्य १२. भाषा, छन्द एवं अलंकार (ग) गद्य-साहित्य सातवाँ अध्याय – आधुनिक काल, द्वितीय उत्थान (सन् १८५०- १९५० ई०) (१) काल-विभाजन (२) राजनैतिक अवस्था (क) राजस्थान एवं केन्द्रीय सत्ता (ख) प्रान्तीय शासक एवं शासन-व्यवस्था (३) सामाजिक अवस्था (४) धार्मिक अवस्था (५) चारण साहित्य (६) कवि एवं उनकी कृतियों का आलोचनात्मक अध्ययन (क) जीवनी खण्ड (ख) आलोचना खण्ड – पद्य-साहित्य १. प्रशंसात्मक काव्य (सर) २. निन्दात्मक काव्य (बिसहर) ३. वीर काव्य ४. भक्ति काव्य ५. श्रृंगारिक काव्य ६. राष्ट्रीय काव्य ७. रीति काव्य ८. शोक काव्य (मरसिया) ९. सती माहात्म्य १०. प्रकृति-प्रेम ११. ऐतिहासिक काव्य १२. भाषा, छन्द एवं अलंकार (ग) गद्य-साहित्य आठवाँ अध्याय – चारण काव्य का नव-चरण (सन् १९५० – १९७५ ई०) (१) सिंहावलोकन (२) परिवर्तन काल (३) लोकतंत्र का उदय (४) ‘राजस्थान’ राज्य का नव-निर्माण (५) नवीन राजनैतिक अवस्था (क) केन्द्रीय सत्ता एवं विदेश नीति (ख) राजस्थान एवं केन्द्रीय सत्ता (ग) नवीन व्यवस्था (घ) राजनैतिक दल (ङ) प्रजातंत्र शासन-पद्धति (च) निर्वाचन पद्धति (छ) राजनैतिक नेता (ज) शासन-व्यवस्था (६) सामाजिक अवस्था (७) धार्मिक अवस्था (८) आर्थिक अवस्था (९) शैक्षणिक अवस्था (१०) साहित्यिक अवस्था (११) सांस्कृतिक अवस्था (१२) राजपूत एवं चारण (१३) राजस्थानी भाषा और साहित्य (१४) चारणेतर साहित्य (१५) (क) चारण साहित्य (ख) कवि एवं कृतियां […]* संशोधित 9 comments काव्य/खंडकाव्य/ग्रन्थ
सादर जय मां करणी जी की।
रतन सिंह चाँपावत विट्ठलदासोत “रणसीगांव रा आपनै घणै मान जवारड़ा।
इतिहास अर साहित नै सहेजण री आ घणी ओपती अर अंंजस जोग खेंंचल है ।
आपने घणै मान बधाई
आभार हुकम।
Vah very good
Jai Charan Sakti
जय माता जी की बहुत बढ़िया जानकारी दी है होकम।
जिज्ञासु जी की मेहनत को कोटि कोटि वंदन।
इस पुस्तक को अगर हम खरीदना चाहे तो कंहा ओर कैसे सम्पर्क करना होगा।
कृपया उचित मार्गदर्शन करें।
राजस्थानी ग्रंथागार जोधपुर में मिल सकती है हुकम। उनका नंबर है 9414100334
साधुवाद
यह ग्रन्थ अत्यधिक श्रमसाधना का परिणाम है। इसका सुलभ होना स्वागत योग्य है।
धन्यवाद हुकम। उत्साह वर्धन करते रहें।