चारणों वीरों की यादें!

चारणों ने राजपूतों के साथ अनेकानेक ऐतिहासिक युध्दों में भाग लिया है, सन 1311 में सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी ने जालौर के राजा कान्हड़दे सोनगरा पर आक्रमण किया तब उसके उसके सेनापति सहजपाल गाडण ने असाधारण शौर्यप्रदर्शन कर वीरगति पाई थी।

महाराणा हम्मीर के साथ चारण बारुजी सौदा 500 घोड़े लेकर अल्लाउद्दीन खिलजी से लड़े थे और खिलजी के मरने के पश्चात हम्मीर को चित्तौड़ की गद्दी पर बैठाने में सफलता पाई थी।

प्रसिध्द हल्दीघाटी की लड़ाई में महाराणा प्रताप के साथ सेना में रामाजी सांदू व सौदा बारहठ जैसाजी व कैसाजी भी लड़े थे व तीनों ने अदभूद वीरता दिखाकर वीरों के मार्ग गमन किया था।

सन 1573 में अकबर द्वारा गुजरात आक्रमण के समय वीरवर हापाजी चारण मुगल सेना में तैनात थे।

सिरोही के राव सुरताण और अकबर के मध्य सन 1583 में लड़े गए युध्द में दुरसा आढा मुगल सेनाकी और से तथा दुदाजी आसिया ने सिरोही की और से लड़ाई में भाग लिया था।

जालौर के किले में वि.सं. 1760 जोधपुर के मानसिंह को महाराजा भीमसिंहजी की सेनाने घेरलिया था, तब महाराजा मानसिंह के साथ मारवाड़के तत्कालीन समयके प्रसिध्द सतरह (17) चारणों ने वीरतापूर्वक लड़ करके अपने स्वामी की रक्षा की थी, उनमें भी जुगतो जी वणसूर नें तो सावधानी पूर्वक दो बार किले के घेरे से बाहर निकल कर एक बार अपने घर के गहणें बेच कर तथा दूसरी बार अपनें छोटे पुत्र को खारा के मंहन्त के गिरवी रख कर धन की व्यवस्था भी महाराजा मानसिंह को सुलभ करवाई थी। मानसिंहजी जुगतो जी वणसूर को काकोसा कह कर सम्बोधित किया करते थे।

हाजर जुगतो हुओ, पीथलो हरिंद पुणीजै।
दोनां महा दुबाह, सिरे फिर ऊंम सुणीजै।।
मैघ अनै मेहराम, ईंनद ने कुशलो आखो।
भैर बनो भोपाल, सिरै चौबीसो साखो।।
पनौ नै नगो नवलो प्रकट, केहर सायब बडम कव।
महाराज अग्र घैरै मही, सतरह जद रहिया सकव।।
ऊपरोक्त 17 चारणो ने मान सिह जी के साथ जालोर के घैरे मे साथ दिया। सभी के नाम निम्न प्रकार हैं।
1-जुगतीदानजी वणसूर, 2-पीथजी सांदू, 3-हरिसिंहजी सांदू, 4-भैरूंदानजी बारठ, 5-बनजी नांदू, 6-ऊमजी बारठ, 7-दानोजी बारठ, 8-ईंदोजी रतनू, 9-कुशल़जी रतनू, 10-मेघजी रतनू, 11-मयारामजी रतनू, 12-पनजी आसिया, 13-नगजी कविया, 14-भोपजी गाडण, 15-नवलजी लाल़स, 16-केसरोजी खिड़िया, 17-सायबोजी सुरताणिया

मेवाड़ के मैंगटिया गांव के गाडण सुलतान जी के पुत्र भगवानदास और भैरूंदास बड़े वीर पुरुष व महाराणा की सेना में सिपहसालार के पद पर थे, तथा महाराणा की और से बादशाह को दी जाने वाली सैनिक टुकड़ी में दिल्ली में तैनात थे, दिल्ली की कैद से मराठा छत्रपतिजी महाराज शिवाजी को निकालने में मिर्जा राजा जयसिंह के पुत्र रामसिंह का हाथ होने पर उसे षडयंत्र पूर्वक मारने की योजना को इन दोनों गाडण भाईयों ने सफलता पूर्वक विफल कर दिया था तब मिर्जा राजा रामसिंह ने इन दोनो को हरमाड़ा गांव की जागीर प्रदान कर आमेर के पास ही बसाया था।

सिध्द अलूनाथजी कविया के बड़े पुत्र नरुजी कविया ने आमेर के राजा मानसिंह के साथ में उड़िसा में कटक के युध्द में कतलू खाँ नामक पठान इक्का को द्वंद युध्द में मार कर वीरगति पाई थी। इस विषय का एक प्रसिध्द वीर गीत भी बनाया हुआ है। कविया वंश की शाखा का वीरता के गीत का एक भाग देखिये।

पाँच कम साठ नरपाल रा पोतरा आठ पीढीयां मांही काम आया।।
अर्थात पचपन वीर पुरुष आठ पीढीयों में लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुऐ।

इतिहास प्रसिध्द कविया करनीदान जी अहमदाबाद की लड़ाई में जोधपुर महाराजा अभयसिंह के साथ हरावल में थे, तथा पहले दिन की लड़ाई में जोधपुर की सेना को दबती देखकर कविया करनीदान जी ने अभयसिंह जी को कहकर सेना के मोर्चे दूसरी जगह लगवाये थे और जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे और जीत कर घर आने पर सूरज-प्रकास और विरद-सिणगार की रचना की थी।

गांव केड़ की ढाणी के किशनावत बारहठजी नें मांढण के युध्द में शेखावतों के साथ मिलकर मुगलों व मित्रसेन अहीर की सेना को हराया था व स्वंय वीरगति को प्राप्त होने पर उनके पुत्र ईश्वरदानजी को बिसाऊ ठाकुर श्यामसिंह जी ने श्यामपुरा की जागीर प्रदान की थी।

वर्तमान समय में भी अपने जातीय संख्यांक के अनुसार अनेकानेक चारण बन्धुओ की सेना के तीनों अंगों में तैनाती है तथा देश की सेवा में अपना कर्तव्य-निर्वहन कर रहे हैं।

~~राजेंद्र कविया (संतोषपुरा सीकर)

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5 comments

  • mahipal singh charan

    Jay mataji hukum aap bahut acha kary kar rahe hai I am Proud of you hukum muje koi esi charano ki book suggest karo joki un me charano ke bare me bharpur likha ho sab totly charano ki history ho esi tin char book s ke nam bataiye hukum me bahut interested hu charan history Jan ne me abhar

  • Kamaljeet singh warshara

    Bahut khoob or gyanavardhak.log chaarno ko sirf kavi hi samajte h.unko chaarno ki veerta ke bare me jyada maalum nhi h.veerta ka theka sirf rajputo ne hi le rakha h.or esa karne me chaarno ki bhi badi bhumika h. ab humko jarurat h ki hum apni kavi wali image khatm kare or logo ka gun gan karne ke bajay apni koum me sahas our shakti ka sanchar karne ka prayas kare.other cast like rajput,jat me jitni unity h…utni chaarno me nhi h…yeh kadwa sach h.chaaran yoddha bhi hote h..is bat ko pracharit or prasarit kar chaaran jati ke khoye hue aatmavishvas ko vapas jagaya ja sakta h…chaaran rajputo se kisi bhi najariye me kam nhi h…jarurat h to bas ekta rakhne ki…..jab ek chaaran dusre chaaran ka support karna shuru kar dega or unity kayam karega tabhi hamari chaaran deviyo ki sachhi upasana hogi…jai mata ji ro sa.

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