गीत वेलियो चावा चारण कवियां रो

आज पुराणा कागज जोवतां अचाणचक एक बोदो ऐड़ो कागज लाधो जिणमें म्हैं एक वेलियो गीत वर्तमान चावै डिंगल़ कवियां माथै दिनांक 23/5/92 जेठ बदि 6, 2049 नै लिख्यो अर आदरणीय डॉ.शक्तिदानजी कविया नै मेल्यो। हालांकि म्हैं इणगत तारीख लिख्या नीं करूं पण आ लिखीजगी जणै याद ई रैयगी।
ओ सही जागा नीं लिखीजण सूं संग्रहीत नीं कर सक्यो। भाए लाधग्यो जणै आज इणनै आप सूं साझा करण रो लोभ संवरण नीं कर सक्यो। कोई पण खामी हुवै तो घणी गिनर मत करजो क्यूं जितैतक गीत रो घणो बख नीं आयो हो। सो आदरणीय कवियां रै प्रति फखत आदरभाव ई देखजो…
सांभल बात कायबां भल सांभल़,
पाल़ण डींगल़ पेख्या प्रीत।
ज्यांरो आज बुद्धिसम जोवो,
गढव्यां तणो बणावूं गीत।।1
आरज-धरा उजाल़ण अवनी,
भारत-दरस दाखियो देख।
चहुंवल़ जिको चारणां चावो,
रतनू अखो वरण में एक।।2
रसा लार उबरसी रैणी,
सत-कारज रैसी इक सेस।
आज मुरार अधमिया ऐड़ो,
दियो अमर साहित उपदेश।।3
गहरो पुरख गुणां रो गाहक,
लखमुख हेक सराहै लोक।
कवता करण अमांमी कवियो,
नांमी बसै नरांणो नोख।।4
पातां मंझ कायबां पागी,
ख्यातां कनै पुरांणी खास।
मुदै अडग माड़वै मांझी,
आसो है डिंगल़ री आस।।5
भूपर जिको कुरीतां भूंडण,
जो चांचल़वै धनजी जोर।
छपै गीत अनै छंद छौल़ां,
साखा गुणियण भरै सजोर।।6
बीठू अनोप झिणकली वासी,
जगतँब तणो उपासी जोय।
नांमी गीत छंद पण नांमी,
सांभल़ लोक सराहै सोय।।7
वैणीदांन गुंजाई वांणी,
राखी इधक पुरांणी रीत।
ठावा कवत भलेरा ठाया,
गोयँद तणा बणाया गीत।।8
खीम तणी कवता बिन खांमी,
वरियांमी भल जिकण री बांण।
ईसर बियो कहै सह ईहग,
परगटी धरा अह पहचांण ।।9
सह कायब सोभा रा साचा,
मरदां नको कूंतिजै मोल।
चावा पात बात ज्यां चावी,
व्हाला लगै इणां रा बोल।।10
वसुधा आज वरंती वेल़ा,
हुवो प्रीत नीत रो ह्रास।
मैला हुवा मानवी मन सूं,
कव ऊजल़ रहियो कैल़ास।।11
पिंगल़ अनै डींगल़ां पोसक,
इल़ पर नको समोवड़ आज।
लाखां नरां बीच जस लाटण,
जोवो सगत गुणां री ज्हाज।।12
परतख छंद सजोरा पढणा,
सांगड़ धरा देखियो सैण।
राजै आज धरण रँगरेल़ै
रोहड़ियो जबरो रांमेण।।13
पाबासर रु सँदेशो पेखो,
देखो ग्रंथ अनुपम्म दोय।
लिछमण सबद लाखिणा लिखिया,
जिणां मांय नवोपण जोय।।14
दाखै छंद ऐहड़ा दाटक,
देखो आज आसियो डूंग।
भांणव वंश चेतना भरणी,
ईखो भाव उडाणा ऊंग।।15
सोन कायब सको सगती रा,
भगती रा भाल़ो उर भाव।
गावै राग मिठोड़ै गलवै,
चिरजावां चंडी री चाव।।16
कायब वीररसां में करणो,
ईहग जिको उचरणो ऐव।
ग्यांन तणी बातां रो ग्याता,
दूथी इम डांडूसर देव।।17
बह सतवट बोलै सतवाचा,
साचा डींगल़ रा सुभचीत।
साचा रतन जात रा सोभै,
गिरधर कयो जिणां रो गीत।।18
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”