छंद करनीजी रा

।।दूहो।।
दे सुमती दुख दारणी, नितप्रत कुमत निवार।
पढूं सुजस परमेसरी, उगती मुजब उचार।।
।।छंद – रोमकंद।।
दुसटी कल़ु घोर हुवो दुख देयण, रेणव जात सुमात रटी।
महि गांम सुवाप पिता धिन मेहज, पाप प्रजाल़ण तूं प्रगटी।
इल़ जात उजाल़ण पातव पाल़ण, बात धरा पर तो वरणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।1
प्रजपाल़ तुंही सरणाणिय पोखण, रोकण राड़ बिगाड़ रसा।
सबल़ापण हाकड़ धाकड़ सोखण, जोगण काज बखांण जसा।
जुध मांय अरी सिर वीजड़ झोखण, हेकण हाथ जमात हणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।2
सिल़की नभ लाय बलाय शेखा सिर, बीजल़ मांय बगाय परी।
सिंध जाय छुडाय चढाय पँखां सज, धाय सदाय सुभीर धरी।
विपतीज हरी करि नाय विलंबन, सीर निभाय दियो सरणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।3
जग रा अघ जारण माहिख मारण, संत उदारण तूं सरजी।
इल़ सेवसु चारण नाम उचारण, ऐम सँभारण तूं अरजी।
कल़जुग्ग कल़ाधर कानिय कारण, बीसहथी नरसिंघ बणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।4
दिस कुणसी जाइय आप दिखाइय, पत्थ सुझाइय दे सुमती।
इम और उपाइय है नकुं आइय, बेग बचाइय बीसहथी।
सज शेर चढै सुण स्हायक सायल़, धाइय आयल हेक धणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।5
दध पार पुकार सुणै दुख दारण, सार सँभाल़ दहै सरणा।
मँझधार उबार उदार करै मन, हार विकार सबै हरणा।
तिणबार सधार हुई नित ही तुझ, वार बिखम्मिय जेथ बणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।6
रुचिय सिंणगार सँसार रखावण, धार त्रिशूल़ सुझूल़ धकै।
भुइ भार सचार उतार सु भारत, पाण पसार तिहार पखै।
वरवै रुजगार तुंही बण वाहर, जाहर कार दहै जरणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।7
जगजाल़ फिटा कर तारण जोगण, सारण चारण काज सको।
धजधार नमो किरता व्रिद धारण, जांमण पाल़ सनाथ जको।
दुख टाल़ सदा नित वाल़ भला दिन, भाल़ पखो कवि गीध भणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।8
।।छप्पय।।
है करनी दुख हरण, चरण पड़ वंदै चारण।
है करनी दुख हरण, करण करुणा व्रिद कारण।
है करनी दुख हरण, सरण दे कारज सारण।
है करनी दुख हरण, धरण पर भीरत धारण।
सँभारण साद करनी सदा, सो जरणी झट सेवियां।
कीरती गीध वरणी सकव, करणी खय दल़ केवियां।।
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”